भारतीय लेदर इंडस्ट्री का वार्षिक टर्न ओवर 100 अरब रुपए से अधिक का है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र में युवाओं के लिए कितनी संभावनाएँ हैं। इस क्षेत्र के दो कार्य होते हैं- 1. कच्चे चमड़े को परिसज्जित कर फिनिश्ड लेदर का निर्माण तथा 2. लेदर गुड्स की डिजाइनिंग, निर्माण तथा मार्केटिंग। फुटवेयर, गारमेंट्स और लेदर गुड्स से संबंधित क्षेत्र में जहाँ लेदर टेक्नोलॉजी में दक्ष व्यक्तियों को रोजगार की प्रचुर संभावनाएँ हैं, वहीं इसे सीखकर स्वरोजगार भी स्थापित किया जा सकता है। लेदर टेक्नोलॉजी में जिन गिनी-चुनी संस्थाओं द्वारा बीएससी, बीटेक और एमटेक पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं, वे हैं- यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, हैदराबाद, कॉलेज ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी, कोलकाता, बीआर आम्बेडकर आरईसी, जालंधर।