आज देश में इंडियन लेदर इंडस्ट्री को चौथी सबसे बड़ी व अन्य एक्सपोर्ट कंपनियों में सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाली इंडस्ट्री में गिना जाता है। भारतीय लेदर इंडस्ट्री का वार्षिक टर्नओवर 100 अरब रुपए से अधिक का है। गौरतलब है कि हमारे देश में लेदर इंडस्ट्री की शुरुआत बहुत ही निचले स्तर से हुई थी लेकिन आज यह विकास के बहुत ऊँचे शिखर पर विराजमान है। आज की तारीख में पश्चिमी देशों को चमड़े का सबसे अधिक निर्यात भारत से ही किया जाता है। यही कारण है कि इस इंडस्ट्री में करियर के अवसर भी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। विगत कुछ समय में भारत व विदेशों में लैदर के कपड़ों की लोकप्रियता और माँग बहुत बढ़ी है। भारत में लेदर से बने वस्त्र व अन्य वस्तुओं की बढ़ती डिमांड के कारण अब अन्य मल्टीनेशनल कंपनियाँ भारत की ओर रूख कर रही हैं। ऐसे में यह इंडस्ट्री एक हाईटेक इंडस्ट्री का रूप लेती जा रही है। जिसमें विशेषज्ञों की भारी माँग है। लेदर इंडस्ट्री के क्षेत्र में दो तरह के कार्य होते हैं- 1. कच्चे चमड़े को परिसज्जित कर फिनिश्ड लेदर का निर्माण तथा 2. लेदर गुड्स की डिजाइनिंग, निर्माण तथा मार्केटिंग। पिछले कुछ वर्षों में चमड़ा उद्योग का कार्य परंपरागत फुटवेयर और गिने-चुने कपड़े बनाने तक ही सीमित था, लेकिन अब इस इंडस्ट्री का कार्यक्षेत्र बहुत बढ़ चुका है। आज यह उद्योग लेदर वियर और फुटवेयर के साथ-साथ एक्सेसरीज जैसे बेल्ट, बैग, पर्स, खिलौने, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट, गारमेंट टैग तथा गिफ्ट आइटम तक फैल चुका है। वर्तमान में इस इंडस्ट्री ने ऐसी नई-नई तकनीकों को विकसित कर लिया है, जिसके कारण यहाँ प्रोफेशनल्स की डिमांड बहुत बढ़ गई है। आज लेदर इंडस्ट्री में बड़ी संख्या में तकनीशियनों के अलावा विभिन्न वस्तुओं के डिजाइनरों की माँग भी होती है। अत: इसके लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षणों की व्यवस्था है। अत: लेदर इंडस्ट्री संबंधी कोर्स का चुनाव अपनी रुचि, योग्यता एवं क्षमता के आधार पर ही किया जाना चाहिए। पहले यह तय करना बहुत जरूरी है कि आप इसमें किस क्षेत्र को सही ढंग से संभाल सकते हैं। अगर आपके भीतर तकनीकी योग्यता है तो डिजाइनिंग के क्षेत्र में जा सकते हैं और अगर आपकी रुचि प्रोडक्शन में हैं तो प्रोडक्शन लाइन में जा सकते हैं। लेदर इंडस्ट्री संबंधी कोर्स करने के लिए किसी भी छात्र को बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके बाद चमड़ा संबंधी विशेषज्ञता हासिल करने के लिए विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण लिया जा सकता है। लेदर इंडस्ट्री में हाईटेक करियर बनाने के लिए आपके अंदर कार्य के प्रति लगाव, डेडीकेशन और आपका परिश्रमी होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा एक डिजाइनर के लिए सबसे जरूरी तत्व होते हैं उसकी क्रिएटिविटी, मानसिक क्षमता एवं कलात्मक अभिरुचि। वहीं दूसरी तरफ प्रोडक्शन लाइन में कार्य करने वाले लोगों को शारीरिक रूप से फिजिकली फिट रहना और मेहनती होना बहुत जरूरी है। लेदर इंडस्ट्री में करियर बनाने हेतु आप विभिन्न कोर्सेज का चुनाव कर सकते हैं। जैसे लेदर टेक्नोलॉजी, फुटवेयर डिजाइनिंग, फैशन टेक्नोलॉजी,शू डिजाइनिंग, लैदर प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी आदि। नई टेक्नोलॉजी के आ जाने से इंडस्ट्री में डिजाइनर एवं प्रोडक्शन का कार्य करने वालों के लिए करियर ऑप्शन की कोई कमी नहीं है। चमड़ा उद्योग में फैशन डिजाइनर के लिए भी बहुत संभावनाएँ हैं। आज बहुत से फैशन डिजाइनर हैं, जो लेदर कंपनी में लेदर के कपड़ों एवं अन्य एक्ससेरीज को डिजाइन करने में रुचि रखते हैं। अत: रचनात्मक सोच वाले जिस किसी व्यक्ति की डिजाइनिंग में रुचि है, वह भी इस इंडस्ट्री में करियर बना सकता है। यही नहीं, प्रोडक्शन के क्षेत्र में भी अच्छा करियर शुरू किया जा सकता है। एक बार प्रोडक्शन की जानकारी हासिल करने के बाद आप भी लेदर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी में किस्मत आजमा सकते हैं। तकनीकी एवं डिजाइनिंग ऑप्शन होने के कारण, इस इंडस्ट्री की विदेशों में भी काफी बूम है। बढ़ती तकनीक के कारण और मल्टीनेशनल कंपनियों के आगमन के कारण आज इस क्षेत्र में करियर के अवसर बढ़ते जा रहे हैं। डिजाइनर फुटवेयर कंपनी में टेक्नीकल डिजाइनर, स्टाइलिस्ट डिजाइनर आदि के पद पर कार्य कर सकते हैं। टेक्निकल डिजाइनर का काम जहाँ पैटर्न मेंकिंग, कटिंग और डिजाइनिंग के कार्य करना होता है वहीं स्टाइलिस्ट डिजाइनर का कार्य न्यू फैशन और स्टाइल को अपडेट करते रहना होता है। अगर आप डिजाइनर हैं तो आप स्वयं का बुटिक या फिर प्रोडक्शन हाउस भी खोल सकते हैं। आप चाहें तो लेदर के क्षेत्र में स्वयं का स्वरोजगार भी स्थापित कर सकते हैं। लेदर टेक्नोलॉजी का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- शू डिजाइन सेंटर, करोलबाग, नई दिल्ली। फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, नोएडा। 1 यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, हैदराबाद। कॉलेज ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी, कोलकाता। बीआर आम्बेडकर आरईसी, जालंधर। अन्नामलाई विश्वविद्यालय, चैन्नई। आचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बेंगलुरू। बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरु।