वर्तमान समय में वेटेनरी साइंस में रोजगार की चमकीली संभावनाएँ हैं। भारत की अधिसंख्य जनसंख्या गाँवों में निवास करती है, जहाँ का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं दुग्ध उत्पादन के अलावा अन्य पशु आधारित छोटे-छोटे कारोबार हैं। दुग्ध उत्पादन की प्रक्रिया में अच्छा लाभ कमान के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च नस्ल की गाय, भैंस, बकरी एवं उनके रखरखाव को लेकर जागरूकता आई है तथा इस कारोबार से जुड़े लोग बड़े पैमाने पर पशु चिकित्सकों (वेटेरनरी डॉक्टर) की सलाह पर निर्भर रहने लगे हैं। धीरे-धीरे यह सिलसिला बढ़ता गया तथा शहरों में भी इसने व्यवसाय का रूप ले लिया। इस प्रक्रिया में दिक्कत तब आती है जब पशु बीमार अथवा अन्य समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं। इसके लिए पशु चिकित्सक से संपर्क किया जाता है। यही नहीं, आजकल शहरों के उच्चवर्गीय लोग अपने पालतू जानवरों एवं पक्षियों की समस्याओं एवं बीमारियों के लिए पशु चिकित्सकों की सलाह एवं उपचार लेते हैं। इस लिहाज से पशु चिकित्सा विज्ञान में युवाओं के लिए रोजगार की बहुत चमकीली संभावनाएँ हैं। पशु चिकित्सा विज्ञानके क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ जिस तेजी से पाँव पसार रही हैं, उसी के अनुरूप पशु चिकित्सकों से जिम्मेदारी की उम्मीद भी की जाती है। सरकारी क्षेत्रों में पशु चिकित्सकों को सार्वजनिक देखभाल की जिम्मेदारी (जैसे चिडिय़ाघर, नेशनल पार्क, सैन्य सेवा क्षेत्रों में घोड़े, कुत्ते, ऊँट आदि की देखभाल।) दी जाती है। शहरी से लेकर ग्रामीण परिवेश के लोगों में आज पालतू जानवरों को लेकर बहुत ज्यादा जागरूकता आ गई है। संभ्रांत वर्ग में पेट्स को पालने का चलन भी बढ़ा है। शहरी क्षेत्रों में पशुओं की बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर वहाँ पर गवर्मेंट एनिमल हसबैंड्री अथवा एनिमल केयर सेंटर्स की स्थापना की गई है। पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातक कर लेने के पश्चात रोजगार के लिहाज से कई तरह के ऑप्शन सामने आते हैं। आज डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, पिगरी एवं पोलट्री फार्म में भारी संख्या में पशु चिकित्सकों की आवश्यकता होती है। हमारे देश में पशु चिकित्सा विज्ञान का पाठ्यक्रम करने वाले युवाओं के लिए संभावनाओं का आकाश खुला हुआ है। ऐसे अनेक प्राणी शोध संस्थान एवं विभाग हैं जहाँ पर वेटेरनियरिंग के कार्य-से जुड़े रिसर्च लैब मौजूद हैं और पशु चिकित्सा विज्ञान से जुड़े युवा वहाँ पर शोध कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा एकेडमिक सेक्शन से जुडक़र भी कार्य किया जा सकता है। परंतु इसके लिए आपके पास वेटेरनरी साइंस में उच्च शिक्षा कीडिग्री होना जरूरी है। पशु चिकित्सक सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही स्तरों पर रोजगार पा सकते हैं। सरकारी वेटेरनरी विभागों में एक प्रशिक्षित स्नातक को पहले जूनियर वेटेरनरी सर्जन के तौर पर रखा जाता है और उस दौरान उसका वेतन 25 से 35 हजार रुपए प्रतिमाह होता है जबकि प्राइवेट स्तर पर किसी भी विशेषज्ञ का वेतन उसके अनुभव एवं प्रसिद्धि के आधार पर तय होता है।