कुछ समय पहले तक हीरे को जाँचने का काम सिर्फ जौहरी ही किया करते थे, परन्तु आज के आधुनिक युग में तकनीकी ज्ञान के विकास ने इसकी परख तथा तराशने के काम में जबरदस्त निखार ला दिया है। ऐसे में हीरे की परख व हीरे को तराशने का करियर इस क्षेत्र में रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति बना सकता है। अब हीरे को मोतियों और अंगूठियों के अलावा परिधानों में भी लगाया जाने लगा है और यह सब संभव हुआ है हीरे की परख तथा हीरे को तराशने जैसे नए अध्ययन क्षेत्र का द्वार खुलने से, जिसमें हीरे को वैज्ञानिक ढंग से तराश कर इसके कलेवर में ताजगी भरी जाती है। हीरे की परख तथा हीरे को तराशने से संबंधित पाठ्यक्रम में विषय वस्तु के तौर पर कटिंग एंड पॉलिशिंग, ऑप्टिकल प्रोपर्टीज, आइडियल कट, लैंड लूप, क्लेरिटी ग्रेडिंग, कलर ग्रेडिंग, फैंसी कलर, वैल्यूशन ऑफ डायमंड, डायमंड एंड इट्स सब्स्टीट्यूट, वल्र्ड डायमंड मार्केट स्ट्रक्चर विद इंडियन कांटेक्स्ट इत्यादि का विधिवत अध्ययन कराया जाता है। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद हीरे की परख करना तथा हीरे को तराशने से संबंधित सर्टिफिकेट से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के विकल्प उपलब्ध हैं। एडमिशन के लिए छात्रों का चयन प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है। प्रारंभ में इस क्षेत्र में 20 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह तक की नौकरी आसानी से मिल जाती है जो अनुभव तथा कार्यकुशलता के आधार पर लाखों तक पहुँच जाती है। इस क्षेत्र को कॅरियर के रूप में चुनने वाले अधिकांश लोग कुछ समय बाद स्वयं अपना व्यवसाय प्रारंभ कर बहुत अच्छी आय अर्जित करने लगते हैं। इस क्षेत्र में कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डायमंड, सूरत, गुजरात। इंडियन डायमंड इंस्टीट्यूट, जयपुर, राजस्थान। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेमोलॉजी, नई दिल्ली।