गाँवों के विकास से जुड़ी सभी योजनाओं की देख-रेख ग्रामीण प्रबंधक (रूरल मैनेजर) करते हैं। गाँवों के विकास के लिए शोध अध्ययन, वहाँ की जलवायु के अनुरूप किसानों को खेती संबंधित नई-नई जानकारी देना,नई तकनीक से परिचित कराना तथा लघु एवं कुटीर उद्योगों का भविष्य तलाशना आदि इनका कार्यक्षेत्र है। स्नातक के उपरांत रूरल मैनेजमेंट में एक वर्षीय डिप्लोमा किया जा सकता है। रूरल मैनेजमेंट के डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु बारहवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है। रूरल मैनेजमेंट का कोर्स इन संस्थानों में उपलब्ध है- इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, पोस्ट बाक्स नं. 60, आणंद, गुजरात। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, हैदराबाद। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट,सेक्टर-11, टैगोर मार्ग, मानसरोवर, जयपुर।