यदि आपका ध्येय केवल वकालत करना है तो एलएलएम (लॉ में स्नातकोत्तर) करने की कोई आवश्यकता नहीं है। एलएलएम मूलत: उन लोगों द्वारा किया जाता है, जो लॉ के क्षेत्र में एकेडमिक्स में जाना चाहते हैं और आगे चलकर किसी लॉ कॉलेज में लेक्चरर के रूप में करियर बनाना चाहते हैं। वकालत करने के लिए स्नातक के बाद 3 वर्षीय एलएलबी या बारहवीं के बाद पाँच वर्षीय इंटिग्रेटेड लॉ पाठ्यक्रम और उसके बाद ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन में उत्तीर्णता अनिवार्य है। इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन बार काउंसिल ऑफ इंडिया में हो जाएगा। फिर आप वकील के तौर पर काम कर सकेंगे। अतिरिक्त योग्यता के रूप में यदि आप लॉ स्नातकोत्तर करना ही चाहते हैं तो काम करते हुए डिस्टेंस लर्निंग का भी विकल्प आपके पास है। भारत में कई विश्वविद्यालयों में मास्टर इन लॉ यानी एमएल और मास्टर इन जनरल लॉ यानी एमजीएल जैसे दो-वर्षीय पाठ्यक्रम दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उपलब्ध हैं, परंतु याद रखें इनकी मान्यता बार काउंसिल से नहीं है। इन्हें केवल एक अतिरिक्त शैक्षणिक योग्यता के रूप में आप अपने प्रोफाइल में जोड़ सकते हैं।