वर्तमान समय में भूगोल को करियर के लिहाज से देखें तो इसमें तरह-तरह के रोजगार के अवसर हैं। पहला अवसर प्लानिंग के स्तर पर है। आज क्षेत्रीय प्लानिंग हो या शहरी या फिर ग्रामीण प्लानिंग इनसे जुड़े संस्थानों में भूगोल के छात्रों की प्लानर के रूप में माँग सदा रहती है। सुदूर संवेदन, जिसने भूगोल जगत में क्रांति ला दी है, यह एक अन्य स्तर पर डाटा का अध्ययन है। चाहे प्रादेशिक डाटा हो या ऐतिहासिक, कृषि का क्षेत्र हो या शहरी या फिर वन क्षेत्र, सभी तरह के डाटाओं का अध्ययन भूगोल में किया जाता है। इस तरह के कामों के लिए विभिन्न कंपनियाँ छात्रों को अपने यहाँ हाथोंहाथ नौकरी पर रखती हैं। भूगोल के छात्रों की जरूरत सामाजिक तथा आर्थिक डाटा तैयार करने में भी पड़ती है। किसी भौगोलिक क्षेत्र में बसे हुए लोगों की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति का आकलन करने में भी ये खासे मददगार साबित होते हैं। इसलिए विभिन्न तरह के स्वयंसेवी संगठन यानी एनजीओ इन्हें अपने यहाँ काम पर रखते हैं। भूगोल के छात्रों के लिए डिफेंस व एनेलिटिकल विंग में भी काम करने का मौका है। यहाँ किसी भी जगह या लोकेशन का अध्ययन करने के लिए इनकी जरूरत पड़ती है। तोप या टैंकर किस ढलान पर जा सकता है, वहाँ की मिट्टी कैसी है, इसके लिए इंजीनियर से उपयुक्त भूगोलविद को माना जाता है। इंजीनियर तकनीकी ज्ञान तो रखता है, भौगोलिक नहीं । सेना की लड़ाई में भौगोलिक स्थिति की जानकारी भी रखनी पड़ती है। लड़ाई की जगह की भौगोलिक स्थिति बताने में ऐसे छात्र सेना के मददगार होते हैं। भूगोल के क्षेत्र में टेक्रोलॉजी की दखल भी खूब है। इसके तहत भूगोल में रिमोट सेंसिंग व जीआईएस बहुत लोकप्रिय हो रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में कभी बाढ़ तो कभी सूखा पड़ता है। सैटेलाइट के जरिए इसका अध्ययन करने की कला भूगोल के छात्रों को कोर्स के दौरान सिखाई जाती है। वे घटनास्थल या आपदा वाली जगह का अध्ययन करते हैं। ये समाज व संगठन को बदलती तकनीक के साथ तात्कालिक जानकारी प्रदान करते हैं। भूगोल में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस में स्पेशलाइजेशन रखने वाले छात्रों के लिए इसरो और रिमोट सेंसिंग एजेंसी में काम करने का मौका मिलता है। भूगोल के छात्रों के लिए टूरिज्म में भी रोजगार के चमकीले अवसर हैं। जहाँ इतिहास का छात्र ऐतिहासिक स्थलों का गाइड बनता है, वहीं भूगोल के छात्र ईको टूरिज्म में करियर बना सकते हैं । बायोडाइवर्सिटी पार्क आज काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इनका दौरा कराने और उनके बारे में रोचक जानकारी देने के लिए भूगोल विषय के छात्र मददगार होते हैं। इसी तरह चिडिय़ाघर या किसी अभयारण्य के लिए भी ऐसे छात्र पर्यटकों के गाइड बनते हैं। मौसम विभाग में भी आने वाले दिनों में भूगोल के छात्रों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। इस विषय के छात्र मौसम का पूर्वानुमान और भविष्यवाणी करते हैं।बीए,एमए तथा बीएड करने के बाद स्कूल शिक्षक और एमफिल तथा पीएचडी करने पर कॉलेजों में अध्यापन का मौका मिलता है। बीए करने के बाद विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने का अवसर तो मिलता ही है, संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भी इस विषय के छात्र काफी सफल होते हैं। सिविल सर्विस के लिए भूगोल एक उपयुक्त व लोकप्रिय विषय है। इसे ध्यान में रखते हुए भी बहुत सारे छात्र बीए में इस विषय का चुनाव कर रहे हैं। भूगोल के छात्र स्नातक करने के बाद एनजीओ में अपना बड़ा योगदान दे सकते हैं। उनके लिए एनजीओ में कई तरह के अवसर हैं। एनजीओ के अलावा सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में शहरी व ग्रामीण योजना के निर्माण व कार्यान्वन व समीक्षा में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं। डिजास्टर मैनेजमेंट का क्षेत्र भी भूगोल के छात्रों के लिए खुला हुआ है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में ऐसे छात्रों के लिए काफी अवसर हैं। इसी तरह कोस्टल जोन मैनेजमेंट में भी काम करने का मौका है। समुद्र तटीय स्थिति की विशेष जानकारी रखने वाले इस क्षेत्र में भी काम कर सकते हैं।आधुनिक इंटरप्रेटेशन के लिए विभिन्न तरह की कंपनियाँ भूगोल के छात्रों को अपने यहाँ काम पर रखती हैं। एकेडमिक क्षेत्र में सामाजिक व आर्थिक डाटा इकट्टा करने के लिए भूगोल के छात्रों को काफी तवज्जो दी जाती है। ऐसे महत्वपूर्ण विषय में नौकरी और शोध के काफी अवसर हैं। आज भूगोलवेत्ता रिमोट सेंसिंग एजेंसी, मैप एजेंसी, खाद्य सुरक्षा, कार्बन तथा ऊर्जा सुरक्षा, जल सुरक्षा, बायोडायवर्सिटी जैसे क्षेत्रों में अहम रोल अदा कर रहे हैं। पर्यावरण सुरक्षा और मौसम में बदलाव जैसे कार्यों की परख में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि वर्तमान दौर में भूगोल के क्षेत्र में रोजगार की चमकीली संभावनाएँ हैं।