सिनेमा व मीडिया के विस्तार तथा बढ़ते टेलीविजन चैनलों की संख्या ने अभिनेताओं के एक और वर्ग को जन्म दिया है, जिन्हें वाइस एक्टर के नाम से संबोधित किया जाता है। हालांकि भारत में वाइस एक्टिंग अपने शुरुआती दौर में है लेकिन विदेशों में यह एक पूर्ण विकसित व्यवसाय का रूप ले चुका है। अगर इसके विकास की बात करें, तो इस क्षेत्र में भविष्य सुरक्षित कहा जा सकता है। रेडियो या टीवी पर आवाज आधारित विज्ञापनों, एनीमेशन, वृत्तचित्र, नाटक, लाइव शो व अन्य मनोरंजन के कार्यक्रमों में अपनी आवाज के जरिए विशेष प्रस्तुतिकरण के लिए जाने-पहचाने वाइस एक्टर मौजूद हैं। डिस्कवरी, कार्टून नेटवर्क, एनीमल प्लेनेट, पोगो आदि चैनलों के हिन्दी संस्करण के लिए डबिंग में बहुत से वाइस एक्टर कार्य कर रहे हैं, जो विदेशी भाषा या अन्य भारतीय भाषाओं को अपनी आवाज परोस रहे हैं। वाइस एक्टर बनने के लिए हिन्दी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ अंग्रेजी व अन्य विदेशी भाषाओं पर आपकी अच्छी पकड़ होनी चाहिए। जितना अधिक भाषागत ज्ञान होगा, उतना ही बेहतर उसे पेश करने का अंदाज भी आना चाहिए। क्योंकि कैरेक्टर के स्वभाव व स्क्रिप्ट की डिमांड के अनुसार ही आपको अपनी आवाज देनी होती है। मौजूदा समय में चल रहे वाइस एक्टिंग के प्रोग्रामों में वोक्स डिजाइनिंग, ध्वनि निर्माण, वाइस कल्चर, मिमिक्री, माइक्रोफोन पर ध्वनि का व्यावहारिक प्रशिक्षण व कार्टून फिल्मों, सीरियलों आदि के लिए व्यॉइसिंग आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। अमूमन स्नातक के बाद जिन्हें फोनेटिक्स ध्वनि विज्ञान की समझ होती है, वह ही वाइस एक्टिंग के छह माह से लेकर एक-दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। वाइस एक्टिंग का पाठ्यक्रम संचालित करने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- स्कूल ऑफ ब्रॉडकास्टिंग एंड कम्युनिकेशन, कामधेनु कॉम्प्लेक्स, लोखंडवाला, मुंबई एकेडमी ऑफ डिजिटल आर्ट एंड कम्युनिकेशन, क्लिक एस्टेट, चांदीवाला, मुंबई एएनटीएस एनीमेशन ट्रेनिंग सेंटर स्कूल, एन्ट्स स्टूडियो प्रायवेट लिमिटेड, आर.डी. कॉम्प्लेक्स, वास्तेश्वर नगर, बंगलुरु टून एनीमेशन इंडिया प्रायवेट लिमिटेड निला बिल्डिंग, टेक्नोपार्क, तिरुअनंतपुरम।