वॉटर मैनेजमेंट के तहत पानी को इकट्ठा करना, नदी, नाले, तालाबों के पानी की सुरक्षा करना, पानी के भंडारण की व्यवस्था तथा उसकी योजना तैयार करना, कल-कारखानों द्वारा प्रदूषित नदियों के पानी को पीने योग्य बनाना जैसी बातें सम्मिलित हैं । वॉटर मैनेजमेंट के क्षेत्र में ग्रेजुएट (तीन वर्षीय बी.एससी.) और पोस्ट ग्रेजुएट (एमटेक डिग्री, दो वर्षीय) लेवल के कोर्स चलाए जाते हैं । इसमें दाखिले के लिए न्यूनतम योग्यता विज्ञान विषय से 10+2 है । एमटेक में एडमिशन के लिए वॉटर मैनेजमेंट कोर्स में बी.एससी. आवश्यक है । इस कोर्स के लिए अधिकतम आयु सीमा 27 वर्ष निर्धारित है । इस पाठ्यक्रम में प्रवेश एंट्रेंस टेस्ट व ग्रुप डिस्कशन के जरिए होती है । एंट्रेंस टेस्ट में बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रश्न होते हैं । ये प्रश्न एन्वायरमेंट, इरीगेशन, वॉटर रिसोर्सेज, वॉटर कंजर्वेशन आदि से संबंधित होते हैं । वॉटर मैनेजमेंट कॅरियर के रूप में बेशक नया हो, लेकिन इसमें रोजगार की भरपूर संभावनाएँ हैं । आईआईसीआर, केंद्रीय भूगर्भ, इरीगेशन डिपार्टमेंट, एन्वायरमेंटल डिपार्टमेंट और मौसम विभाग में बतौर साइंटिस्ट काम करने के मौके उपलब्ध हैं । सरकारी व सार्वजनिक स्तर पर ऐसी कई नई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जहाँ योग्य उम्मीदवारों की खासी माँग है । छोटे स्तर पर अपनी वॉटर इंडस्ट्री भी लगाई जा सकती है । वॉटर मैनेजमेंट का पाठ्यक्रम कराने वाले प्रमुख संस्थान हैं- एमबीए इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर (वॉटर रिसोर्सेज में इंजीनियरिंग) । एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, बीकानेर (वॉटर मैनेजमेंट एंड वॉटर कंजर्वेशन में एमई) । गोविंदवल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर (वॉटर रिसोर्सेज में इंजीनियरिंग) । अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, चैन्नई (हाइड्रोलॉजी एंड वॉटर रिसोर्सेज में एमई) ।