वर्तमान समय में सहकारिता प्रबंधन एक चमकीले करियर का रूप ले चुका है। बड़ी संख्या में युवा इस क्षेत्र में अपना उजला करियर बना रहे हैं। उल्लेखनीय है कि देश में अधिकांश राज्यों में सहकारी समितियाँ स्थापित हैं, ताकि गाँवों की दशा में तेजी से सुधार लाया जा सके। इन सहकारी समितियों के अंतर्गत आने वाले बैंकों, मंडी समितियों तथा कृषि केन्द्रों को बखूबी संचालित किया जाता है। इन समितियों तथा केन्द्रों को चलाने के लिए ऐसे कुशल पेशेवरों की जरूरत होती है, जो सफलतापूर्वक सारे कार्य संभाल सकें। इन पेशेवरों को सहकारिता प्रबंधक कहा जाता है। साथ ही इस पूरी विधा को सहकारिता प्रबंधन के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में केन्द्र तथा राज्य सरकारें गाँवों में रोजगार के साधन बढ़ाने की दिशा में अथक प्रयास कर रही हैं। देश के अधिकांश विकास कार्यक्रम गाँवों को ध्यान में रखकर तैयार किए जा रहे हैं, ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक उनका लाभ पहुँचे। मल्टीनेशनल तथा कॉर्पोरेट कंपनियाँ भी तेजी से गाँवों का रुख कर रही हैं। इसके चलते आज हमारे देश के गाँव बहुत तेजी से बदल रहे हैं। गाँव के लोगों को अब गाँव में ही रोजगार के अवसर और सुख-सुविधाओं के संसाधन मिल रहे हैं। जरूरत है तो सिर्फ उनके उचित प्रबंधन की। सहकारिता प्रबंधन से जुड़े पेशेवर उन सभी जरूरी प्रबंधकीय कौशलों से सुसज्जित होते हैं, जिनसे ग्रामीण समुदायों की तरक्की सुनिश्चित होती है। सहकारिता प्रबंधन का कोर्स करने के बाद छात्र को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता है। निजी तथा सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में सहकारिता प्रबंधन के विशेषज्ञों के लिए रोजगार के चमकीले अवसर हैं। सहकारिता प्रबंधन के क्षेत्र में शुरूआती दौर में वेतन भले ही कम मिलता हो, लेकिन जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता जाता है, वेतन में भी तेजी से इजाफा होता जाता है। अमूमन शुरू-शुरू में इस क्षेत्र में कदम रखने वाले छात्रों को 20-25 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं, लेकिन तीन-चार साल के अनुभव के बाद वेतन बढक़र 35-50 हजार रुपये प्रतिमाह तक तक पहुँच जाता है। वेतन के अलावा प्रोफेशनल्स को कई तरह के बोनस तथा भत्ते भी दिए जाते हैं। कोऑपरेटिव सेक्रेटरी, कोऑपरेटिव के विशेषज्ञों, मैनेजर, प्रोजेक्टर ओऑडिनेटर, पब्लिक रिलेशन्स ऑफिसर,बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर, बिजनेस प्लानर तथा रिसर्चर के रूप में भी विभिन्न सहकारी संस्थाओं में करियर के चमकीले अवसर हैं। ऑल इंडिया हैंडलूम फैब्रिक्स, मार्केटिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी, आणंद मिल्क फेडरेशन लिमिटेड, कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन, इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड, राज्य दुग्ध संघ सहकारी समितियों, ग्रामीण विकास विभाग, कृषि तथा ग्रामीण विकास से संबंधित बैंक, राज्य सहकारी बैंकों, एपेक्स बैंक, राज्य ग्रामीण विकास विभाग, नाबार्ड, भारतीय खाद्य कार्यक्रम आदि इस क्षेत्र के पेशेवरों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। कई ऐसी गैर सरकारी संस्थाएँ भी हैं, जो सहकारिता प्रबंधनों को प्रमुखता से बड़ी भारी संख्या में रोजगार देती हैं।