साधारण-सी मिट्टी एवं रेत से अत्याधुनिक उपयोग की वस्तुएँ बनाने की तकनीक ही सेरामिक इंजीनियरिंग कहलाती है। सेरामिक इंजीनियरिंग सिर्फ डिनर प्लेट और बाथरूम टाइल्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल कम्प्यूटर, मोबाइल, ऑटोमोबाइल सेंसर और इग्नाइटर के पुर्जों के रूप में भी होने लगा है। इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की कोई कमी नहीं है। कई बड़ी कंपनियों में सेरामिक इंजीनियरों की अच्छी माँग है। देश के विभिन्न आईआईटी संस्थानों के अलावा सेरामिक इंजीनियरिंग के कोर्सेज इन संस्थानों में भी उपलब्ध हैं- कॉलेज ऑफ सेरामिक टेक्नोलॉजी, 73, अविनाश चंद्र बनर्जी लेन, कोलकाता। सेंट्रल ग्लास एंड सेरामिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तरप्रदेश।