देश भर में पर्यटन को बढ़ाने के लिए हेरिटेज होटल की अवधारणा को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सामान्यतया वर्ष 1950 से पहले बनी इमारतों को अब हेरिटेज होटल में तब्दील करने की अनुमति दी जाती है। कई इलाकों में साल 1950 से पहले की इमारतें हैं। इनमें से कई खंडहर में बदलती जा रही हैं। ऐसी धरोहरों को बचाने के लिए ही पर्यटन नीति के तहत इन्हें हेरिटेज होटल में तब्दील करने की छूट दी गई है। यदि हेरिटेज होटल की अनुमति मिलती है, तो कई प्रकार की सुविधाएँ और छूट प्राप्त होती है। इनमें प्रमुखतया -सुख-साधन कर में मनोरंजन कर में छूट, निर्माण या विस्तार के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण लेने पर पूंजीगत व्यय पर अनुदान, गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों व जेनरेटर के लिए पूंजीगत खर्च पर अनुदान, स्थापना के लिए किसी भवन या उससे लगी जमीन खरीदने पर स्टांप शुल्क में छूट, विरासत संपत्तियों को हेरिटेज होटल में बदलने पर भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क में छूट, -ग्रामीण क्षेत्रों में पांच साल तक बार लाइसेंस शुल्क में छूट, बिजली की विशेष लाइन दिए जाने पर छूट। उल्लेखनीय है कि पुरानी इमारत को हेरिटेज होटल में बदलने पर कम से कम इसके पांच साल तक संचालन की बाध्यता होती है। पर्यटन विभाग और एएसआई मिलकर तय करते हैं कि जिस इमारत का प्रस्ताव हेरिटेज होटल के लिए भेजा गया है, वह सच में हेरिटेज इमारत है या नहीं। इसके लिए कई विभागों से एनओसी मांगी जाती है और जिलाधिकारी से भी अनापत्ति पत्र भी मांगा जाता है। इसके बाद ही इमारत को हेरिटेज होटल में बदलने का प्रस्ताव पास हो पाता है।