मप्र में 21 बांध-बैराज बनेंगे, 13 जिलों की 40 लाख आबादी को मिलेगा पेयजल
पार्वती-कालीसिंध-चंबल व राजस्थान ईस्टन कैनाल (पीकेसी-ईआरसीपी) परियोजना पर करीब 72 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें से 90% राशि केंद्र देगा। मध्य प्रदेश सरकार इस पर 35 हजार करोड़ तो राजस्थान सरकार 37 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। यानी जो राशि मप्र और राजस्थान के हिस्से है, उसमें से 90% राशि केंद्र देगा।
इस परियोजना से मप्र के 13 जिलों के 3217 गांवों की सूरत बदल जाएगी। मप्र में 17 बांध, 4 बैराज समेत कुल 21 नई जल संरचनाएं बनाई जाएंगी। मालवा और चंबल क्षेत्र की 6.13 लाख हेक्टेयर जमीन सरसब्ज होगी। कुल 40 लाख आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। वहीं, 64 साल पुरानी ग्वालियर-चंबल संभाग की चंबल नहर प्रणाली को डिसमेंटल कर आधुनिक तरीके से बनाया जाएगा। राजस्थान में 5 नए बैराज बनाए जाएंगे, जबकि 4 बांधों की मरम्मत की जाएगी।
प्रमुख कछारों में परियोजनाएँ:
- पार्वती कछार: सीहोर के श्यामपुर, करैया में बैराज बनेंगे। पाड़ोन में दो बांध बनेंगे। 8 हजार करोड़ की लागत से 1.6 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचिंत होगी।
- कालीसिंध कछार: शाजापुर, आगर, उज्जैन, देवास को लाभ। 3500 करोड़ लागत से लखुंदर कॉम्पलेक्स, रंजीत सागर बांध बनेंगे। 77 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित।
- अपर चंबल कछार: मंदसौर व इंदौर के बीच 9 हजार करोड़ की लागत से 6 बांध बनेंगे। 1.88 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन सिंचिंत होगी।
- कूनो कछार: 12 हजार करोड़ की लागत से 6 सिंचाई परियोजनाएं गुना, शिवपुरी, मुरैना और श्योपुर जिलों में बनाई जाएंगी। 4 बांध और 2 बैराज बनेंगे।
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