युवाओं को पढ़ाई के बाद अब रोजगार के लिए भटकना नहीं होगा। विश्वविद्यालय आने वाले दिनों में उन्हें स्नातक की पढ़ाई के साथ अनिवार्य रूप से अप्रेंटिसशिप कराएंगे। जो तीन वर्षीय स्नातक कोर्स के लिए न्यूनतम एक और अधिकतम दो सेमेस्टर का होगा। जबकि चार वर्षीय स्नातक कोर्स के लिए न्यूनतम दो व अधिकतम चार सेमेस्टर का होगा। इस दौरान उन्हें एक नियमों के तहत निर्धारित स्टाइपेंड भी दिया जाएगा। इसे लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के बीच एक करार भी होगा। इसमें उद्योगों को तय नियमों के तहत साल में एक निर्धारित संख्या में छात्रों को अपने यहां अप्रेटिंसशिप का मौका देना होगा। युवाओं के सामने रोजगार के बढ़ते संकट का समाधान खोजते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर अप्रेंटिसशिप युक्त एक नए डिग्री प्रोग्राम का मसौदा तैयार किया है। इसमें स्नातक की पढ़ाई के साथ छात्रों को अनिवार्य से अप्रेटिंसशिप कराना शामिल है। फिलहाल मसौदे के तहत इस प्रोग्राम की शुरूआत देश के शीर्ष दो सौ उच्च शिक्षण संस्थानों (एनआइआरएफ रैंकिंग के अनुसार) या फिर राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) की 'ए' रैंकिंग वाले संस्थानों से होगी। हालांकि इससे पहले इन सभी उच्च संस्थानों को अपने आसपास के उद्योगों के साथ एक करार करना होगा। इसमें उन्हें संस्थानों में छात्रों में पढ़ने वाले छात्रों को प्राथमिकता के साथ अप्रेंटिसशिप का मौका देना होगा। इस मसौदे को लेकर अगले महीने भर राय दी जा सकती है। यूजीसी के मुताबिक पढ़ाई के साथ किए गए अप्रेंटिसशिप के लिए छात्रों को क्रेडिट स्कोर भी दिए जाएंगे। इसके आधार पर वह पढ़ाई के बाद अपने उस अनुभव के आधार पर उन क्षेत्रों में आसानी से रोजगार हासिल कर सकते हैं। मसौदे के मुताबिक एक सेमेस्टर यानी छह महीने का अप्रेंटिसशिप करने पर छात्रों को कम से कम 20 क्रेडिट स्कोर मिलेंगे। यदि एक साल यानी दो सेमेस्टर का अप्रेंटिसशिप किया तो उसे 40 क्रेडिट स्कोर मिलेंगे। क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत एक क्रेडिट के लिए कम से 30 घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। पढ़ाई के साथ ही अप्रेंटिसशिप अवधि का भी मूल्यांकन उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से किया जाएगा। इसका जिक्र उन्हें दिए जाने वाले सर्टिफिकेट में होगा। वैसे भी यूजीसी ने अप्रेंटिसशिप के मूल्यांकन के लिए जो फार्मूला तैयार किया है, उसके तहत कुल अंक में से 25 अंक का मूल्यांकन उस संस्थान या उद्योग की ओर से होगा, जहां छात्र अप्रेंटिसशिप कर रहा होगा। इसके बाद 25 अंक संस्थान की ओर से नियुक्त मेंटर देगा, जिसकी देखरेख में वह अप्रेंटिसशिप कर रहा होगा। बाकी अंक संस्थान प्रोजेक्ट आदि के आधार पर देगा। सार्थक कदम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अप्रेंटिसशिप युक्त नया डिग्री प्रोग्राम का मसौदा किया जारी, मांगी राय, देश के शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों से होगी शुरुआत, उद्योगों संग होगा करार, दोनों डिग्री कोर्सों में होगा लागू, अधिकतम चार सेमेस्टर की होगी।
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