मध्यप्रदेश के 463 स्कूलों में नहीं हुआ नया प्रवेश, 223 स्कूलों में छात्र ही नहीं
देश में सबसे अधिक सरकारी स्कूल और शिक्षक मध्यप्रदेश में हैं, लेकिन इसके बावजूद 463 स्कूल ऐसे हैं जहां 2024-25 सत्र में एक भी नया प्रवेश नहीं हुआ। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की यूडाइस (UDISE) रिपोर्ट में सामने आई है।
देश में तीसरा स्थान
शून्य प्रवेश वाले स्कूलों की संख्या के मामले में मध्यप्रदेश का स्थान देश में तीसरा है। पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल (3812 स्कूल) और दूसरे स्थान पर तेलंगाना (2245 स्कूल) है।
इसके अलावा 223 स्कूल ऐसे हैं जहां कोई भी छात्र नहीं है, जबकि 7217 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं।
मुख्य आंकड़े (2024–25)
- कुल सरकारी स्कूल (MP): 1,22,120
- शिक्षकों की संख्या: 7,17,493
- विद्यार्थियों की संख्या: 1,51,72,607
- प्रति शिक्षक छात्रों की संख्या: 21
- एक शिक्षक वाले स्कूल: 7,217
- ऐसे स्कूलों में छात्र: 2,29,095
पिछले वर्षों में प्रवेश के आँकड़े (कक्षा 1 से 8 तक)
- 2022-23: 66 लाख
- 2023-24: 63 लाख
- 2024-25: 58 लाख
- 2025-26 (अनुमानित): 57 लाख
भोपाल जिले की स्थिति
भोपाल जिले में 771 प्राथमिक स्कूल हैं, जिनमें से 44 स्कूलों में पहली कक्षा में शून्य नामांकन हुआ। 178 स्कूलों में केवल एक और 225 स्कूलों में दो छात्रों का नामांकन हुआ है।
स्कूलों की संख्या में गिरावट, शिक्षकों की संख्या में बढ़ोतरी
यूडाइस रिपोर्ट के अनुसार इस साल 1392 स्कूल कम हुए हैं, जबकि शिक्षकों की संख्या में 78,968 की वृद्धि हुई है।
सरकार की कोशिशें और कारण
बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए मुफ्त किताबें, गणवेश, मध्याह्न भोजन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। साथ ही "स्कूल चलें हम", "गृह संपर्क अभियान" जैसे प्रयास भी किए गए। फिर भी प्राथमिक स्तर पर अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि शून्य प्रवेश वाले स्कूलों की संख्या पिछले साल की तुलना में एक तिहाई हो गई है।
प्रवेश न होने के संभावित कारण
- माता-पिता के साथ बच्चों का दूसरे स्थान पर चले जाना।
- समग्र आईडी से सही मैपिंग न होना।
- स्थान परिवर्तन के कारण डेटा में गड़बड़ी।
शून्य प्रवेश वाले शीर्ष राज्य (2024–25)
- पश्चिम बंगाल: 3812
- तेलंगाना: 2245
- मध्यप्रदेश: 463
- तमिलनाडु: 311
- राजस्थान: 215
एक शिक्षक वाले स्कूलों वाले शीर्ष राज्य
- आंध्रप्रदेश: 12,912
- उत्तरप्रदेश: 9,508
- झारखंड: 9,172
- महाराष्ट्र: 8,152
- मध्यप्रदेश: 7,217
शिक्षा विभाग का कहना है कि "गृह संपर्क" और "समग्र आईडी मिलान" जैसे अभियान चल रहे हैं, जिससे आने वाले समय में आंकड़ों में और सुधार हो सकता है।