- डॉ. जयंतीलाल भंडारी
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष अगस्त 2024 में आयकर अधिनियम सरल बनाने के लिए मुख्य आयकर आयुक्त वी. के. गुप्ता की अध्यक्षता में गठित समिति कर रियायतों को तर्कसंगत बनाने, कर गणना के तरीके का स्तर बढ़ाकर इसे विश्वस्तरीय बनाने और अपील करने की व्यवस्था में जटिलता कम करने करने संबंधी सुधारों पर तेजी से काम कर रही है। यह समिति कर विशेषज्ञों और विभिन्न निकायों से प्राप्त सिफारिशों की समीक्षा कर रही है। ज्ञातव्य है कि आयकर अधिनियम, 1961 की करीब 90 धाराएं अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं। ये धाराएं विशेष आर्थिक क्षेत्र, दूरसंचार, पूंजीगत लाभ सहित कर छूट एवं कटौती जैसे मामलों में कारगर नहीं रह गई हैं। मौजूदा स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस), स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) व्यवस्था को सरल करने सीमा शुल्क कानून की तरह ही समिति दरों की एक व्यापक अनुसूची बनाने पर आगे बढ़ रही है। इससे कानूनी जटिलताएं और मुकदमेबाजी में काफी कमी आएगी तथा कर कटौती प्रक्रिया अधिक सरल और पारदर्शी होगी। उम्मीद है कि वी.के. गुप्ता समिति की रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत होगी और इसके आधार पर विधि मंत्रालय की मदद से नए आयकर विधेयक का मसौदा तैयार किया जाएगा।
निश्चित रूप से पिछले एक दशक में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में तेज सुधारों का सिलसिला लगातार बढ़ा है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। यदि हम देश में आयकर का इतिहास देखें तो पाते हैं कि देश में अंग्रेजों ने सन् 1922 में आयकर की शुरुआत की थी। वर्ष 1961 में आयकर अधिनियम लागू किया गया। लेकिन इस अधिनियम में एक ओर कार्यान्वयन संबंधी जटिलताएं रहीं, वहीं दूसरी ओर विभिन्न रियायतों और अनेक छूटों के कारण कर अनुपालन में मुश्किलें बढ़ती गई। यद्यपि इन कमियों को दूर करने के लगातार छोटे-छोटे प्रयास किए जाते रहे, लेकिन पिछले एक दशक से आयकर कानून में जो अहम सुधार किए गए हैं उससे जहाँ आयकरदाताओं को सुविधा मिली, वहीं आयकरदाताओं की संख्या बढ़ाने में भी मदद मिली है। इन सुधारों में प्रमुख रूप से 25 सितंबर 2020 से पूरे देशभर में लागू करदाताओं के लिए पहचान रहित अपील (फेसलेस अपील) व्यवस्था और वर्ष 2019 में लागू करदाता चार्टर (टैक्सपेयर चार्टर) और पहचान रहित समीक्षा (फेसलेस असेसमेंट) जैसे बड़े आयकर सुधार प्रमुख हैं। इसके अलावा नॉन फाइलर्स, मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमए) के जरिए ऐसे लोगों की पहचान की जाती है जिन्होंने हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन किया है पर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है। पिछले 10 वर्षों में आयकर संग्रह में करीब 182 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2023-24 में व्यक्तिगत आयकर संग्रह लगभग चार गुना बढ़कर 10.45 लाख करोड़ रुपये का रहा। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि आयकर वर्ष 2023-24 में 8.09 करोड़ से ज्यादा रिकॉर्ड आयकर रिटर्न दाखिल किए गए। साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में पिछले वर्ष से अधिक आयकर रिटर्न और अधिक आयकर प्राप्ति का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है।
जिस तरह देश में आयकर संबंधी सुधारों से आयकरदाताओं की संख्या और आयकर राशि में तेजी से इजाफा हुआ है, उसी तरह देश में अप्रत्यक्ष करों में ऐतिहासिक सुधार कहा जाने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ है। इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर लगने वाले 17 केंद्रीय और राज्य स्तरीय टैक्स के साथ-साथ करीब 23 अलग-अलग तरह के उपकरों को समाहित किया गया है जीएसटी विनिर्माताओं, कारोबारियों, निर्यातकों और आम लोगों के लिए लाभप्रद माना गया है। जीएसटी लागू होने के पूर्व वित्त वर्ष 2016-17 में अप्रत्यक्ष कर संग्रह (केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और सीमा शुल्क आदि) से करीब 8.63 लाख करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई थी। जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटी से टैक्स संग्रहण तेजी से बढ़ रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीएसटी का संग्रहण 20.18 लाख करोड़ रुपए पहुँच गया, जो पूर्ववर्ती साल के मुकाबले 11.7 फीसदी वृद्धि को दिखाता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच जीएसटी संग्रह पिछले वर्ष की इस अवधि के मुकाबले 9 फीसदी बढ़कर 14.56 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि दुनिया की तेज बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के तहत बढ़ते उद्योग-कारोबार, सर्विस सेक्टर, शेयर बाजार और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति की नई ऊँचाइयों के कारण देश में टैक्स संग्रहण में तेज वृद्धि हो रही है। वस्तुतः कर संग्रह में तेज वृद्धि से बुनियादी ढांचे, सामाजिक सेवाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार की क्षमता बढ़ रही है। सरकार की मुठ्ठियों में बढ़ता कर राजस्व न केवल अर्थव्यवस्था के नवनिर्माण में मदद कर रहा है बल्कि यह सरकार को अपने करदाताओं के प्रति जवाबदेह भी बना रहा है। निसंदेह देश में कर सुधारों से आयकर और जीएसटी के संग्रहण में आशातीत वृद्धि हुई है। लेकिन अभी भी इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत में कर से जीडीपी अनुपात 11.7 फीसदी के स्तर पर ही पहुँचने का अनुमान है, जो कि दुनिया के कई विकासशील देशों में यह अनुपात भारत से अधिक है। ऐसे में देश में आयकर और जीएसटी के कर दायरे में इजाफा किए जाने की बड़ी संभावनाएँ हैं।
चूँकि देश ने 2047 में विकसित भारत का लक्ष्य रखा है, उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कर सुधारों के साथ कर संग्रह में लगातार इजाफा जरूरी होगा और तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल से कर संग्रह में वृद्धि तेज की जानी होगी। ऐसे में यह उपयुक्त होगा कि आयकर अधिनियम को सरल बनाने के लिए गठित की गई वी.के. गुप्ता समिति शीघ्रतापूर्वक अपनी रिपोर्ट पूर्ण करते हुए इस बात पर ध्यान दे कि प्रति व्यक्ति आय के लिए छूट की सीमा को कम करने के मद्देनजर छूट के स्तर को निकट भविष्य में अपरिवर्तित रखा जाए। समिति को ध्यान देना होगा कि करदाताओं की संख्या में इजाफा कर व्यवस्था को अधिक निष्पक्ष बनाया जाए ताकि इससे कर भुगतान को लेकर दृष्टिकोण को सही दिशा में बढ़ावा मिल सके। साथ ही विभिन्न दृष्टिकोणों से आयकर प्रणाली को सरल बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की रणनीति प्रस्तुत की जानी होगी।
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