अमरनाथ यात्रा 2025: सुरक्षा के लिए नो-फ्लाई ज़ोन घोषित
जम्मू-कश्मीर सरकार ने 1 जुलाई से 10 अगस्त तक अमरनाथ यात्रा मार्ग को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया है। यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त तक आयोजित की जाएगी।
यात्रा मार्गों (पहलगाम और बालटाल) पर ड्रोन, यूएवी (Unmanned Aerial Vehicles) और गुब्बारों की उड़ान पूरी तरह प्रतिबंधित होगी। यह फैसला सुरक्षा कारणों से और विशेष रूप से पहलगाम हमले को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
हालांकि, मेडिकल इवैक्युएशन, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा बलों द्वारा निगरानी उड़ानों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। इनके लिए अलग से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की जाएगी।
पहलगाम मार्ग
यह मार्ग अपेक्षाकृत आसान है और गुफा तक पहुँचने में लगभग 3 दिन लगते हैं। यात्रा चंदनवाड़ी से शुरू होती है, जो बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहाँ से चढ़ाई शुरू होती है। 3 किमी की चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुँचती है और फिर लगभग 9 किमी चलकर शेषनाग पहुँचा जाता है। अगले दिन यात्री शेषनाग से पंचतरणी (14 किमी) जाते हैं, जहाँ से गुफा केवल 6 किमी दूर रह जाती है।
बालटाल मार्ग
यदि समय कम हो, तो बालटाल मार्ग उपयुक्त होता है। यह केवल 14 किमी लंबा है लेकिन चढ़ाई काफी खड़ी और चुनौतीपूर्ण होती है। बुजुर्ग यात्रियों के लिए यह मार्ग मुश्किल हो सकता है। रास्ते संकरे और घुमावदार होते हैं।
अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए विशेष सुरक्षा इंतज़ाम
- पहली बार काफिले की सुरक्षा के लिए जैमर लगाए जा रहे हैं, जिन्हें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) संभालेगा।
- 581 कंपनियाँ सुरक्षा बलों की तैनात की जाएँगी, जिनमें लगभग 42,000 से 58,000 जवान शामिल होंगे।
- 156 कंपनियाँ पहले से तैनात थीं; 425 नई कंपनियाँ 10 जून तक तैनात कर दी जाएँगी।
- पोनी वालों और पिट्ठू सेवाओं का सत्यापन अनिवार्य होगा। जिनका आपराधिक रिकॉर्ड है उन्हें सेवा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- घोड़ों और खच्चरों की टैगिंग की गई है ताकि रूट से हटने पर उन्हें रियल टाइम ट्रैक किया जा सके।
- सुरक्षा हेतु रोड ओपनिंग पार्टी, क्विक एक्शन टीम, बॉम्ब डिफ्यूजल स्क्वॉड, K9 यूनिट्स (प्रशिक्षित खोजी कुत्ते), और ड्रोन से निगरानी की व्यवस्था होगी।