अमृत सरोवरों से समृद्ध हुई भूगर्भ की जल संपदा, जल नीति को मिली दिशा
अमृत सरोवर योजना: जल संरक्षण में भारत को मिली नई दिशा, ग्राउंड वाटर रिचार्ज क्षमता में लगभग दोगुनी वृद्धि
अमृत सरोवर योजना ने भारत में जल संरक्षण को बढ़ावा दिया है। इस योजना के तहत देश भर में 68000 से अधिक तालाब बनाए गए, जिससे भूजल रिचार्ज क्षमता में वृद्धि हुई। वर्ष 2017 में 13.98 अरब घन मीटर से बढ़कर यह अब 25.34 अरब घन मीटर हो गई है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
साल दर साल चुनौती बन रहे जल संकट को अमृत सरोवर योजना से संबल मिला है। योजना के तहत देश भर के सभी जिलों में 75-75 तालाब बनाने थे। इस हिसाब से 50 हजार से अधिक तालाबों के निर्माण या पुनर्जीवन का लक्ष्य था, मगर 18 हजार अतिरिक्त तालाब बन गए। इससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज क्षमता में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है।
वर्ष 2017 में भारत की कुल भूजल पुनर्भरण क्षमता 13.98 अरब घन मीटर थी, जो अब बढ़कर 25.34 अरब घन मीटर हो गई है। यह वृद्धि अचानक नहीं हुई है। इसके पीछे 68 हजार से ज्यादा अमृत तालाब हैं, जो न सिर्फ वर्षा जल संचित कर रहे हैं, बल्कि आसपास के भूगर्भ जल स्तर को भी समृद्ध कर रहे हैं। केंद्र सरकार की अमृत सरोवर योजना ने देश की जल नीति को नई दिशा दी है।
बुंदेलखंड के इलाकों में बने तालाब
उत्तर प्रदेश के 29 जिलों में भूजल स्तर सुधरा है। पहले 82 ब्लॉकों में भूजल का अत्यधिक दोहन होता था, जो अब सिर्फ 50 ब्लॉक रह गए हैं। बुंदेलखंड के महोबा, ललितपुर एवं चित्रकूट में पहले बोरिंग से पानी नहीं निकलता था, अब तालाब के पास खुदाई करते ही पानी मिल जाता है।
बिहार में 2,613 तालाबों के माध्यम से कम से कम 41.8 प्रतिशत कुओं के भूगर्भ जल स्तर में सुधार हुआ है। कहीं-कहीं चार मीटर तक पानी ऊपर आ गया है, जो बताता है कि तालाबों के माध्यम से पानी रिचार्ज होकर भूगर्भ तक पहुंचा है। 64.3 प्रतिशत कुओं का जल स्तर बेहतर हुआ है।
तालाबों के निर्माण के बावजूद चुनौतियां बनी हुईं
हालांकि तालाबों के निर्माण मात्र से सारी चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। तालाबों की देखभाल बड़ी समस्या बनी हुई है। उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में सिल्टिंग, अतिक्रमण और कूड़ा-करकट डालने जैसे मामले सामने आ रहे हैं।