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इस समय जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिग से उपजी समस्याओं की वजह से दुनियाभर में सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) यानी स्वच्छ एवं अक्षय ऊर्जा (क्लीन एंड रिन्यूएबल एनर्जी) पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पूरी दुनिया में वर्ष 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
सौर ऊर्जा की ओर भारत के तेजी से बढ़ते कदमों से रोजगार
मौके
निसंदेह भारत सौर ऊर्जा उत्पादन की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। भारत में कुल स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता को वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 500 गीगा वाट का लक्ष्य रखा गया है। देश की विशाल रेलवे प्रणाली इस दशक में 'नेट जीरो' उत्सर्जन वाली बन जाएगी। इसके अलावा दुनिया का पहला पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा भी भारत में है। जैसे-जैसे देश और दुनिया सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है वैसे वैसे इस क्षेत्र में करियर के मौके तेजी से बढ़ रहे हैं।
सौर ऊर्जा क्षेत्र में देशी-विदेशी निवेश से बढ़े रोजगार
अवसर
भारत में सौर ऊर्जा यानी स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से बढ़ते हुए देशी और विदेशी निवेश से भी करियर के मौके बढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि काउंसिल आन एनर्जी, एनवायरमेंट एवं वाटर (सीईईडब्ल्यू), नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल (एनआरडीसी) एवं स्किल काउंसिल फार ग्रीन जाब्स द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2030 तक देश के रिन्युवेबल एनर्जी सेक्टर में करीब 10 लाख नए रोजगार सृजित होंगे। ये जाब रूफटाप सोलर एवं मिनी-माइक्रो ग्रिड सिस्टम जैसे छोटे रिन्युवेबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।
सौर ऊर्जा में रोजगार के विभिन्न क्षेत्र
चूँकि स्वच्छ और नवीनीकरणनीय ऊर्जा के तहत अन्य कम प्रदूषणकारी वैकल्पिक स्रोतों को अपनाए जाने पर बल दिया जा रहा है, इसी को देखते हुए स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी तथा स्वच्छ उर्जा प्रबंधन के क्षेत्र में रोजगार एवं स्वरोजगार के चमकीले अवसर उत्पन्न होते जा रहे हैं। खासतौर से सौर ऊर्जा क्षेत्र के तहत सोलर इंजीनियर्स के लिए तेजी से मौके बढ़े हैं। एक सोलर इंजीनियर का कार्य सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की तकनीक पर काम करना होता है। वे सोलर एनर्जी से संबंधित प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग, डिजाइनिंग से लेकर उसके एग्जीक्यूशन तक का कार्य संभालते हैं। उनकी देखरेख में रूफटाप सोलर पैनल्स के इंस्टालेशन होते हैं। रेजिडेंशियल, कामर्शियल सोलर एनर्जी प्लांट या सोलर पावर सिस्टम विकसित करने में इनकी मदद ली जाती है। स्टूडेंटस अपने शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रही सौर ऊर्जा कंपनियों से सम्पर्क करके रोजगार की संभावना मुठ्ठियों में ले सकते हैं। उल्लेखनीय है कि सोलर एनर्जी सेक्टर में इंजीनियर्स, प्रोजेक्ट मैनेजर्स, बिजनेस डेवलपमेंट एक्सपटर्स, सेल्स प्रोफेशनल्स को बड़ी कंपनियां हाथोंहाथ ले लेती है, जबकि रूफटाप सोलर या अन्य सोलर पैनल्स के इंस्टालेशन, मेंटीनेंस, साफ-सफाई आदि कार्यों के लिए कुशल और गैर-कुशल दोनों तरफ के लोगों को रोजगार मिल जाता है। इसके लिए प्रायः कंपनियां भी प्रशिक्षण देती है।
सौर ऊर्जा क्षेत्र में करियर के लिए शैक्षणिक जरूरतें
सौर ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न ब्रांचों के इंजीनियर्स के अलावा सामान्य कार्यों के लिए परम्परागत डिग्री और उपयुक्त प्रशिक्षण प्राप्त छात्रों के लिए मौके हैं। आमतौर पर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने वाले छात्र सोलर एनर्जी सेक्टर में कार्य करते हैं। इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, केमिकल, इंजीनियरिंग एवं कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के छात्र भी इस क्षेत्र में आ सकते हैं। आईआईटी और एनआइटी जैसे संस्थानों में जेईई जरिये इन कोर्सेज में दाखिला मिलता है। साइंस विषय से 12वीं के बाद यह कोर्स कर सकते हैं। सौर ऊर्जा क्षेत्र में इंजीनियर्स के लिए जहाँ इंजीनियरिंग डिग्रियों की जरूरत होती है, वहीं प्रबंध लेखा और मैंनेटमेंट से संबंधी कार्यों के लिए किसी भी उपयुक्त डिग्री या डिप्लोम के साथ उपयुक्त प्रशिक्षण जरूरी है।
सौर ऊर्जा में करियर संबंधी पाठ्यक्रम
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार व करियर से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी के इंस्टीट्यूशंस में उपलब्ध हैं। जो युवा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में करियर के लिए आगे आना चाहते हैं, उनके द्वारा सरकार के सूर्यमित्र कौशल विकास कार्यक्रम के तहत भी प्रशिक्षण लिया जाना उपयुक्त होता है। ऐसे में स्टूडेटस अपनी रूचि, योग्यता व क्षमता के अनुरूप उपयुक्त पाठ्यक्रम व उपयुक्त संस्थान का चयन करके सौर ऊर्जा यानी स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में करियर की डगर पर आगे बढ़ सकते हैं।
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