25 सितंबर- जलवायु एवं स्वास्थ्य समाधान इंडिया कॉन्क्लेव दिल्ली में आयोजित हुआ।

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने एशियाई विकास बैंक (ADB) के सहयोग से दिल्ली में जलवायु एवं स्वास्थ्य समाधान (CHS) इंडिया कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया। दो दिवसीय कॉन्क्लेव का उद्देश्य भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कार्रवाई योग्य रणनीति विकसित करने के लिए नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों और हितधारकों को एक साथ लाकर जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य की दोहरी आपात स्थितियों को संबोधित करना है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने अपने मुख्य भाषण में स्वास्थ्य नियोजन में जलवायु संबंधी विचारों को शामिल करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि "जलवायु एवं स्वास्थ्य समाधान भारत सम्मेलन जलवायु-अनुकूल स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो हमारे जैसे विकासशील देशों की अनूठी आवश्यकताओं को पूरा करता है। भारत अपनी स्वास्थ्य नीतियों और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्रों में जलवायु संबंधी विचारों को शामिल करके उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।"

श्री अपूर्व चंद्रा ने आगे कहा कि "हमें एशियाई विकास बैंक और अन्य वैश्विक भागीदारों के साथ सहयोग करने पर गर्व है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारा स्वास्थ्य क्षेत्र अप्रत्याशित जलवायु प्रभावों से निपटने और सभी के लिए सतत विकास का समर्थन करने में सक्षम है। साथ मिलकर हम 'एक स्वास्थ्य, एक परिवार, एक भविष्य' के दृष्टिकोण को प्राप्त कर सकते हैं।" स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओएसडी सुश्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य योजना में जलवायु संबंधी विचारों को एकीकृत करने के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, " भारत ने अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों में जलवायु परिवर्तन संबंधी विचारों को एकीकृत करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण लगभग एक दशक पहले जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री की परिषद के तहत जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर मिशन का निर्माण था। 2019 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) की शुरुआत की।"

उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना ने लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अपनी-अपनी राज्य कार्य योजनाएँ विकसित करने के लिए एक खाका तैयार किया है। संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण के लिए अगली महत्वाकांक्षा यह है कि प्रत्येक जिला अपनी भेद्यता का आकलन करे और जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य कार्य योजनाएँ विकसित करे।

भारत सरकार के जी-20 शेरपा श्री अमिताभ कांत ने अध्यक्षीय भाषण में भारत और विश्व के लिए जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य के चौराहे पर विकास के मार्गों की छलांग को प्रदर्शित करने में भारत के नेतृत्व, पैमाने और आकार के महत्व पर जोर दिया और कहा, “ जैसा कि हम बढ़ते तापमान, अप्रत्याशित मौसम पैटर्न और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर बढ़ते बोझ का सामना कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हम एकीकृत, टिकाऊ समाधान तैयार करें जो हमारे लोगों और हमारे ग्रह के स्वास्थ्य की रक्षा करें। जी-20 प्रेसीडेंसी के माध्यम से भारत का नेतृत्व इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर लाने में सहायक रहा है और एशियाई विकास बैंक जैसे प्रमुख भागीदारों के साथ सहयोग के माध्यम से हमारे पास लचीले और अनुकूली स्वास्थ्य प्रणालियों को आकार देने का एक अनूठा अवसर है। साथ मिलकर, हम एक ऐसा रास्ता बना सकते हैं जो जलवायु कार्रवाई की तत्काल अनिवार्यताओं को संबोधित करते हुए भविष्य की पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करता है।”

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव सुश्री लीना नंदन ने सतत विकास पर भारत की प्रगति और जलवायु तथा पर्यावरणीय लक्ष्यों के प्रति देश की प्रतिबद्धताओं पर चर्चा की। जलवायु लचीलापन हासिल करने के लिए अंतर-क्षेत्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, "हमें जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक योजना बनाने की आवश्यकता है, खासकर स्वास्थ्य और संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में। समन्वित, पूर्ण और व्यापक दृष्टिकोण को अपनाने और सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली की तत्परता महत्वपूर्ण है।"

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