डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु संधि और डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को बाहर किया


डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु संधि और डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को बाहर किया

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालते ही ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। अपने वादों को निभाते हुए उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर पहले ही दिन कई कार्यकारी आदेशों पर दस्तखत किए। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कई आदेशों को रद कर दिया है। ट्रंप ने कार्यकारी आदेशों के जरिये कैपिटल हिल दंगे के आरोपित अपने 1500 समर्थकों को आम माफी दे दी है। उन्होंने अपने देश को पेरिस जलवायु संधि से अलग कर लिया है। अमेरिका अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का सदस्य भी नहीं रहेगा। इसके साथ ही अमेरिका में अब जन्मसिद्ध नागरिकता नहीं मिलेगी। गौरतलब है कि इस समय अमेरिका में जन्म लेने वालों को अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है भले ही उनके माता पिता अमेरिकी न हों।

ट्रंप ने 20 जनवरी को जलवायु परिवर्तन पर महत्वाकांक्षी पेरिस समझौते से हटने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने आदेश पर हस्ताक्षर करने से पहले कहा, "मैं तुरंत पेरिस जलवायु समझौते से हट रहा हूं।" इससे पहले ट्रंप के पहले कार्यकाल में जनवरी 2017 में भी अमेरिका पेरिस समझौते से हटा था, लेकिन जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद फिर इसमें शामिल हो गया। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए दुनिया के देशों ने यह समझौता किया है।

अमेरिका के हटने से दुनिया में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की पहल को झटका लगना तय है। ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से अमेरिका के बाहर निकलने के आदेश पर भी हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा, डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 महामारी और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संकटों से निपटने में नाकाम रहा। अमेरिका डब्ल्यूएचओ से बाहर होगा।




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