चुनाव आयोग ने ईपीआईसी नंबरों में गड़बड़ी को सुधारने का ऐलान किया
मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबरों में पिछले 25 वर्षों से चली आ रही गड़बड़ी अगले तीन महीने में दुरुस्त हो जाएगी। जल्द ही इसे लेकर संबंधित राज्यों में अभियान शुरू होगा। चुनाव आयोग ने 7 मार्च को इसे लेकर अहम घोषणा की है। आयोग ने कहा कि राज्यों में एक जैसे ईपीआईसी नंबरों का यह आवंटन वर्ष 2000 में किया गया था। हालांकि इससे न तो किसी भी मतदाता की भौगोलिक पहचान प्रभावित होती है और न ही इसका मतलब यह है कि ये सभी फर्जी मतदाता हैं। ईपीआईसी नंबर के बावजूद मतदाता केवल उसी मतदान केंद्र पर वोट दे सकता है जिस मतदान केंद्र की मतदाता सूची में उसका नाम है।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से हाल ही में इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने तुरंत ही इसे लेकर सारी स्थिति साफ की थी। आयोग ने बताया था कि यह सिर्फ राज्यों की चूक है, जिन्होंने एक दूसरे मिलते-जुलते नंबरों की सीरीज आवंटित कर दी। आयोग के मुताबिक अब तक यह मुद्दा इसलिए सामने नहीं आया, क्योंकि ईपीआईसी नंबर के आवंटन की कोई केंद्रीकृत व्यवस्था नहीं थी। जैसे ही ईपीआईसी नंबरों को एक केंद्रीकृत प्लेटफार्म से जोड़ा गया, तो यह मामला सामने आया।
आयोग ने 7 मार्च को राज्यों को दिए गए निर्देश में कहा है कि वे जल्द ही एक समान ईपीआईसी वाले नंबरों को जांच कर सामने लाएं। ऐसे नंबरों को जल्द ही विशिष्ट ईपीआईसी नंबर आवंटित किए जाएंगे। गौरतलब है कि बंगाल, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के कुछ जिलों में एक जैसे ईपीआईसी नंबर की गड़बड़ी है। नई प्रणाली भविष्य के मतदाताओं के लिए भी लागू होगी। चुनाव आयोग ने तकनीकी टीमों और संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद अगले तीन महीनों में इस मुद्दे को सुलझाने का फैसला किया है।