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नए दौर में रेडियो जॉकी (आरजे) के करियर के साथ ग्लैमर और प्रतिष्ठा


इन दिनों रेडियो प्रसारण की बढ़ती लोकप्रियता के बीच वे युवा जिनकी अच्छी प्रभावी आवाज है और जिनकी भाषा पर मजबूत पकड़ है। वे स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई करने के साथ ही आरजे अर्थात रेडियो जॉकी यानी रेडियो कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता के रूप में करियर बनाने का सपना साकार करते हुए अपनी मुठ्ठी को ग्लैमर से चमकते नाम, शोहरत और पैसा इन तीनों से भरपूर कर सकते हैं। आरजे के पेशे की खासियत आवाज का वह जादू है, जो लोगों को दीवाना बना देता है। यह ऐसी आवाज होती है, जो एक ही समय पर हजारों लोगों को अपने काबू में रखने में सक्षम होती है। आज के समय में युवाओं को रेडियो जॉकी किसी सेलिब्रेटी से कम नहीं लगते। इसलिए अगर आपके अंदर भी अपनी आवाज के जादू से लोगों को बांध लेने की ताकत है और आप अपने आसपास हो रहे घटनाक्रम पर न केवल पैनी निगाह रखते हैं बल्कि उस पर अपने विश्लेषण की क्षमताएँ भी रख सकते हैं तो आरजे का करियर आपके लिए भी हो सकता है।

एक बार फिर रेडियो की बढ़ती लोकप्रियता से बढ़ा आरजे का करियर

उल्लेखनीय है कि कोई पांच-छह दशक पहले जब टेलीविजन आम आदमी तक नहीं पहुँचा था। तब तक रेडियो ने दुनिया पर राज किया है। रेडियो साफ आवाज, अच्छा प्रसारण और सुलभ सेवा की वजह से लोकप्रिय होता चला गया। भारत में एफएम क्रांति की शुरुआत नब्बे के दशक में हुई। अब फिर रेडियो वापसी कर रहा है, और यह पहले से कहीं अधिक रोमांचक है। एक साथ कई एफएम रेडियो स्टेशन शुरू से इस पेशे का ग्लैमर आसमान छूने लगा है। माय एफएम, रेड एफएम, बिग एफएम, रेडियो मिर्ची, रेडियो सिटी आदि ढेरों एफएम रेडियो स्टेशनों के खुलने से रोजगार के असीमित अवसर पैदा हो रहे हैं। देश में बहुत से रेडियो चैनल्स मौजूद हैं, जिन्हें लोगों द्वारा काफी सराहा जा रहा है। देश के कोने-कोने में स्थित रेडियो स्टेशन के नेटवर्क से देश की 99 प्रतिशत आबादी तक रेडियो की पहुँच बन गई है। रेडियो अब घरों से निकलकर लोगों के हाथों तक पहुंच गया है। लोग बसों में सफर करते हुए, कार चलाते हुए यहां तक कि पैदल चलते हुए भी रेडियो सुनना पसंद करते हैं।

आरजे के लिए करियर स्किल्स

एक आरजे बनने के लिए कई स्किल्स जरूरी हैं। एक आरजे के लिए अच्छी प्रभावी आवाज के साथ प्रभावी प्रस्तुतिकरण और एक बेहतर वक्ता होने के साथ कार्यक्रम प्रसारण की हर स्थिति परिस्थिति को अच्छे से संभालनें के गुणों से भरपूर होना जरूरी होता है। इसके लिए आत्मविश्वासी व हाजिरजवाबी होना भी जरूरी है। आवाज प्रभावशाली होने के साथ−साथ उच्चारण बेहद साफ व आवाज पर नियंत्रण भी जरूरी है। यह क्षमता भी होनी चाहिए कि अपनी आवाज के उतार−चढ़ाव द्वारा लोगों को न केवल आकर्षित किया जा सके, वरन उन्हें कार्यक्रम को सुनने के लिए बांधकर भी रखा जा सके।

ऐसे कई रेडियो स्टेशन हैं जो बुनियादी भाषाओं हिन्दी व सामान्य अंग्रेजी की मांग करते हैं जबकि कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए क्षेत्रीय या बोलचाल की भाषा जानने की आवश्यकता होती है। आरजे की आवाजों में अपनापन झलकता है। अच्छा दोस्त और सलाहकार भी दिखाई देता है वह हंसी-मजाक भी करता है, पसंद का संगीत सुनाता है और एंटरटेन भी करता है। ऐसा भी लगता है कि वह श्रोताओं की पसंद-नापसंद और मन की बात को अच्छी तरह से जानता है। आरजे एक ऐसा व्यक्तित्व है जो रेडियो कार्यक्रमों की मेजबानी करता है, संगीत, टॉक शो, साक्षात्कार और आकर्षक सामग्री के माध्यम से श्रोताओं का मनोरंजन करता है।

हर एक आरजे की अपनी एक अलग स्टाइल होती है। इसलिए यदि बोलने की अलग स्टाइल डेवलप की जाए तो भीड़ में भी अलग दिख संकते है। एक ही शैली में बोलते रहेंगे तो श्रोता बोर हो जाएँगे इसलिए आवाजें बदलकर बोलने की कला भी आपको आनी चाहिए इससे आपको श्रोताओं का ज्यादा प्रतिसाद मिलेगा। पूरे प्रोग्राम की स्क्रिप्ट हो यह संभव नहीं इसलिए खुद अपने तरीके से लाइव कार्यक्रम का संचालन आना नितांत जरूरी है।

रेडियो जॉकी को न सिर्फ देश−विदेश में होने वाली गतिविधियों की जानकारी होनी चाहिए बल्कि उसे अपने शहर की सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में भी पता होना चाहिए ताकि वह अपने शो को और भी बेहतर व इंर्फोमेटिव बना सके। वस्तुतः रेडियो जॉकी का कार्य सिर्फ रेडियो शो करना नहीं होता, उसे प्रोग्रामिंग, स्टोरी राइटिंग, रेडियो एडवरटाइजिंग करने से लेकर ऑडियो मैगजीन और डॉक्यूमेंट्री भी प्रस्तुत करना होता है। रेडियो जॉकी की जॉब ऑफिस टाइम की रेगुलर जॉब नहीं है। यहां आपको दिन या रात कभी भी शो होस्ट करना होता है।

एक रेडियो जॉकी के पास रेडियो शो के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरणों को संभालने के लिए बुनियादी तकनीकी ज्ञान होना चाहिए साथ ही फोन या ईमेल और ऑनलाइन चैट के माध्यम से संचार योग्यताओं में दक्ष होना होता है।

आरजे बनने के लिए शैक्षणिक और उम्र संबंधी योग्यताएँ

आरजे बनने के लिए कोई विशिष्ट शैक्षणिक योग्यता और प्रोफेशनल कोर्स अनिवार्य नहीं है, लेकिन 12वीं के बाद किसी भी कॉलेज या इंस्टीट्यूट से मॉस कम्युनिकेशन या रेडियो प्रोग्रामिंग/जॉकिंग में डिग्री या डिप्लोमा का कोर्स लाभप्रद हो सकता हैं। मुख्य रूप से डिप्लोमा इन रेडियो प्रोग्रामिंग व ब्रॉडकास्ट मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन रेडियो प्रोडक्शन व रेडियो जॉकी, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रेडियो एंड ब्रॉडकास्ट मैनेजमेंट, सर्टिफिकेट कोर्स इन रेडियो जॉकिंग अधिक उपयोगी माने जाते हैं। इसके अलावा अल्प अवधि के क्रैश कोर्स भी उम्मीदवारों के लिए काफी उपयोगी होते हैं, जिसे करने के बाद इस क्षेत्र में पदार्पण किया जा सकता है। इस तरह की शिक्षा हासिल करते समय एक बात का विशेष ध्यान रखें कि प्रशिक्षण संस्थान में सिर्फ दाखिला मिल जाने या डिग्री हासिल कर लेने भर से रेडियो जॉकी नहीं बना जा सकता है। निरंतर अभ्यास और अनुभव से ही इस क्षेत्र में नाम और दाम कमाया जा सकता है।

यद्यपि प्रायवेट एफएम रेडियो स्टेशनों के लिए योग्यता और उम्र संबंधी कोई पाबंदी नहीं होती है। लेकिन सरकारी रेडियो प्रसारण केंद्रों पर एक आरजे के लिए स्नातक होना अनिवार्य है और उसकी आयु 35 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए रेडियो जॉकी के रूप में करियर लिंग-विशिष्ट नहीं है। इस फील्ड में पुरुष और महिला रेडियो जॉकी को समान मौका मिलता है। दिव्यांग भी रेडियो जॉकी के रूप में विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाहन करने में करियर बना सकते हैं।

आरजे के लिए करियर के विविध आयाम

आज के समय में देश के मीडिया इंडस्ट्री में रेडियो जॉकी के लिए काम की कोई कमी नहीं है। अच्छे आरजे बनने के गुणों को मुठ्ठियों में लेकर एआईआर से लेकर टाइम्स एफएम, रेडियो मिर्ची, रेडियो मिड−डे, रेडियो वाणी व अन्य लोकल रेडियो स्टेशंस में जॉब प्राप्त किया जा सकता हैं। थोड़े अनुभव के बाद वॉइस ओवर कमर्शियल, लाइव शो होस्ट, टेलीविजन शो व फिल्मों के लिए भी मौके सामने होते हैं। रेडियो जॉकी के रूप में अनुभव और योग्यताएँ बढ़ने के बाद उसके लिए कई ऊँचे पदों की संभावनाएँ निर्मित होती हैं।

आरजे के करियर में सैलरी अनुभव, स्किल्स व लोगों के रेसपॉन्स पर निर्भर करती है। ऑन-एयर व्यक्तित्व वे रेडियो जॉकी हैं जिन्हें नियमित रूप से लोग सुनते हैं और उनका मुख्य काम विज्ञापनों को शेड्यूल करने और स्टूडियो व्यवस्था का प्रबंधन करने के साथ-साथ श्रोताओं का मनोरंजन करना है। प्रोडक्शन डायरेक्टर: यह वह पद है जिसे एक वरिष्ठ ऑन-एयर व्यक्तित्व होने के बाद प्राप्त किया जा सकता है। यह वह व्यक्ति है जो ऑन-एयर ट्रैफ़िक को नियंत्रित करता है और उत्पादन शेड्यूल करता है और कार्यक्रमों की रणनीति बनाता है। एफएम चैनलों की संख्या लगातार बढ़ते जाने से आरजे की कमाई में पहले की तुलना में काफी इजाफा हुआ है। स्टेशन प्रबंधक का पद रेडियो स्टेशन पर वरिष्ठ पदों में से एक है। यह स्टेशन के मुद्दों और कार्यक्रमों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति है।अनुभव प्राप्त करने के पश्चात् व लोगों का प्यार मिलने के बाद इस फील्ड में सैलरी व सुविधाएँ चमकीले प्रोफेशंस की तरह ऊँचाई पर पहुँच सकती है।

आरजे के करियर के लिए आगे बढ़िए

चाहे आप शहर में रहते है या गाँव में यदि आप भी रेडियो जॉकी बनने के गुणों से भरपूर हैं और सेलिब्रिटी बनना चाहते हैं तो आपके लिए रेडियो जॉकी को करियर के रूप में चुनाव करना एक बेहतर निर्णय हो सकता है। यदि आप रेडियो जॉकी के अच्छे करियर के लिए आगे बढ़ना चाहते है तो म.प्र. या देश के किसी ब्रॉडकास्टिंग, मास कम्युनिकेशन या फिर आरजे प्रशिक्षण पाठ्यक्रम मुहैया कराने वाले किसी अच्छे संस्थान से आरजे का कोई कोर्स करते हुए विशेष प्रशिक्षण के साथ इस करियर की डगर पर अवश्य आगे बढ़िए।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)