आईआईटी गुवाहाटी बनाएगा भारत की पहली स्वदेशी सिक्योर चिप
अब ई-पासपोर्ट में इस्तेमाल होने वाली सिक्योर सेमीकंडक्टर चिप भारत में ही विकसित की जाएगी। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' अभियान को एक नई गति देगी।
भारत को डिजिटल पहचान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
त्रिपक्षीय समझौता
इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए तीन संस्थाओं के बीच समझौता हुआ है:
- L&T सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजीज
- सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC)
- आईआईटी गांधीनगर
इस साझेदारी का उद्देश्य ई-पासपोर्ट के लिए पूरी तरह से स्वदेशी और सुरक्षित इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) समाधान तैयार करना है।
प्रोजेक्ट के मुख्य लाभ
- यह चिप और उसका स्मार्ट ऑपरेटिंग सिस्टम पूरी तरह से 'मेक इन इंडिया' के तहत विकसित किए जाएंगे।
- इस चिप से जुड़े सभी बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Properties - IPs) भारत के पास रहेंगे।
- देश की डिजिटल संप्रभुता मजबूत होगी और आयात पर निर्भरता घटेगी।
- इस चिप का उपयोग भविष्य में इन क्षेत्रों में भी किया जा सकता है:
- आधार कार्ड
- स्मार्ट कार्ड
- डिजिटल बैंकिंग
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइसेस
डिजिटल सुरक्षा को मजबूती
यह पहल सुरक्षा-संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी टेक्नोलॉजी पर भारत की निर्भरता को कम करेगी। L&T सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी (LTSCT), जो कि लार्सन एंड टुब्रो की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, इस प्रोजेक्ट में डिज़ाइन और समाधान प्रदान करने पर फोकस करेगी।
इस प्रोजेक्ट से भारत स्वदेशी सेमीकंडक्टर निर्माण में एक नया मील का पत्थर स्थापित करेगा और डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करेगा।