11 मार्च को भारतीय सरकार ने लोकसभा में इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 पेश किया। इस बिल के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अवैध रूप से किसी विदेशी नागरिक को भारत लाता है, ठहराता है या बसाता है, तो उसे तीन साल की जेल, ₹3 लाख तक जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस बिल को पेश करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य किसी को रोकना नहीं है, बल्कि जो लोग यहां आएं, उन्हें यहां के कानून और व्यवस्था का पालन करने के लिए प्रेरित करना है।
बिल की आवश्यकता
यह विधेयक चार पुराने कानूनों को निरस्त करके एक व्यापक कानून की स्थापना करेगा। यह बिल पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लाए गए दो विधेयकों को समाहित करता है और इमिग्रेशन और विदेशी नागरिकों के नियंत्रण के लिए मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
चार पुराने कानूनों का समाप्त होना
अगर यह विधेयक कानून का रूप लेता है, तो निम्नलिखित चार पुराने कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा:
- फॉरेनर्स एक्ट 1946
- पासपोर्ट एक्ट 1920
- रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स एक्ट 1939
- इमिग्रेशन एक्ट 2000
बिल के प्रमुख प्रावधान
यह विधेयक सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, अखंडता, विदेशी संबंध, सार्वजनिक स्वास्थ्य, या किसी अन्य निर्दिष्ट कारणों पर आधारित विदेशी नागरिकों को प्रवेश से इनकार करने की अनुमति देगा। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करेगा कि इमिग्रेशन अधिकारियों के निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होंगे।
उल्लंघन पर सजा
- अगर कोई व्यक्ति बिना पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज के भारत में प्रवेश करता है, तो उसे पांच साल की जेल या ₹5 लाख तक जुर्माना हो सकता है, या दोनों सजा हो सकती है।
- जाली या धोखाधड़ी से प्राप्त पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेजों का उपयोग करने पर दो साल की सजा हो सकती है, जिसे बढ़ाकर सात साल किया जा सकता है।
- वीज़ा अवधि से अधिक समय तक रुकने पर तीन साल की सजा और ₹3 लाख तक जुर्माना हो सकता है।
विधेयक का विरोध
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इसे न्याय और न्यायशास्त्र के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन बताया। तिवारी ने उन प्रावधानों पर चिंता जताई, जो सरकार को व्यक्तियों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए व्यापक अधिकार प्रदान करते हैं। उन्होंने जोर दिया कि यह विधेयक संविधानिक प्रावधानों के अनुरूप होना चाहिए और पारित होने से पहले इसकी पूरी जांच होनी चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय का विरोध
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने भी विधेयक का विरोध किया, विशेष रूप से उस प्रावधान का जो विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और अन्य संस्थाओं को विदेशी नागरिकों की जानकारी देने के लिए बाध्य करता है। राय का कहना था कि इससे शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में प्रतिभा और विशेषज्ञता का प्रवाह प्रभावित होगा।
प्रधानमंत्री मोदी की मॉरीशस यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय मॉरीशस यात्रा पर हैं। 12 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी का एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने मॉरीशस में भोजपुरी भाषा की महत्वपूर्ण उपस्थिति पर भी खुशी व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "मॉरीशस में यादगार स्वागत हुआ, विशेष रूप से सांस्कृतिक जुड़ाव और भोजपुरी भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका को देखकर खुशी हुई।"
प्रधानमंत्री मोदी 11 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस यात्रा के दौरान भारतीय नौसेना के एक जहाज और भारतीय रक्षा बलों की एक टुकड़ी भी भाग लेगी। यह प्रधानमंत्री मोदी की 2015 के बाद पहली मॉरीशस यात्रा है और इसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने का अवसर माना जा रहा है।