चीन से आयात नियंत्रण अब आवश्यक – डॉ. जयंतीलाल भंडारी पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया और भारत की कार्रवाई के विरुद्ध खड़ा दिखाई दिया। चीन ने न केवल पाकिस्तान का समर्थन किया, बल्कि उसे मिसाइल सहित विभिन्न हथियारों की आपूर्ति भी की। इन हथियारों का भारत की मजबूत सैन्य प्रणाली पर कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो गया कि चीन भारत को तेजी से उभरती आर्थिक शक्ति बनने से रोकना चाहता है। ऐसे में चीन से बढ़ते आयात पर नियंत्रण और आर्थिक प्रतिबंध अत्यंत आवश्यक हैं। भारत-चीन व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 99.2 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। चीन से आयात 11.52% की वृद्धि के साथ 113.45 अरब डॉलर रहा जबकि भारत से निर्यात 14.5% गिरकर 14.25 अरब डॉलर रह गया। चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और उस पर निर्भरता अभी भी बनी हुई है। डिप्लोमेसी की असफलता और नई परिस्थितियाँ पिछले साल अक्टूबर में दिवाली के अवसर पर भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों ने मिठाइयाँ बांटी थीं, लेकिन यह शांति ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी। लद्दाख में विवादास्पद क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी हुई थी लेकिन चीन का व्यवहार फिर से शत्रुतापूर्ण हो गया। भारत ने इस बीच चीन से आयात पर कोई कठोर नियंत्रण नहीं लगाया और चीन का व्यापारिक लाभ जारी रहा। भारत की आर्थिक वृद्धि और चीन की रणनीति अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की रिपोर्ट के अनुसार 2025 के अंत तक भारत 4.187 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। मोर्निंगस्टार DBRS जैसी रेटिंग एजेंसियों ने भी भारत की क्रेडिट रेटिंग में सुधार किया है। अप्रैल 2025 में GST संग्रह 2.09 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक नया रिकॉर्ड है। स्वदेशी को बढ़ावा और चीन को झटका प्रधानमंत्री मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' अभियान के तहत देश में पहले से ही स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दी जा रही है। अब समय आ गया है कि देशवासी चीन के उत्पादों का बहिष्कार कर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ें। निष्कर्ष ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान द्वारा चीन के हथियारों के प्रयोग के बाद, भारत को अब चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर भी कड़ा कदम उठाना चाहिए। चीन से आयात में कमी लाकर भारत अपनी MSME और घरेलू उत्पादन क्षमता को मजबूत कर सकता है।