ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स का हब बनता भारत

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स का हब बनता भारत

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स का हब बनता भारत

लेखक: डॉ. जयंतीलाल भंडारी

हाल ही में नैसकॉम और जिनोव की और से जारी इंडिया जीसीसी, लैडस्केप रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा हब बनते हुए दिखाई दे रहा है। फिलहाल देश में 1700 जीसीसी हैं जिनसे 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। देश में जीसीसी का बाजार आकार 5.4 लाख करोड़ रुपए का है और यह 2030 तक 8.4 लाख करोड़ रुपए का होगा। दुनिया के 50 प्रतिशत जीसीसी सिर्फ भारत में हैं। भारतीय जीडीपी में भारत के जीसीसी का योगदान एक प्रतिशत है और 2030 तक यह 3.5 प्रतिशत हो जाएगा। ज्ञातव्य है कि ग्लोबल कैपैबिलिटी सेंटर या जीसीसी जॉब मार्केट में नया चलन है। आईटी सपोर्ट, कस्टमर सर्विस, फाइनेंस, एचआर और रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

इन दिनों पूरी दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारें भी जीसीसी और ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स को ध्यान में रखकर अपने वैश्विक उद्योग-कारोबार के रिश्तों के लिए नीति बनाने की डगर पर बढ़ रही हैं। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध एवं विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अपने ग्लोबल इनहाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से शुरू करते हुए दिखाई दे रही हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स के तेजी से बढ़ने से भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियाँ अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। पूरी दुनिया में मेड इन इंडिया और ब्रांड इंडिया की चमकीली पहचान बन रही है।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि दुनिया की बड़ी कंपनियों के द्वारा जीसीसी से देश के टैलेंटच पूल के इस्तेमाल और देश को दुनिया की प्रमुख ज्ञान आधारित व सेवा प्रधान अर्थव्यवस्था बनाने में बौद्धिक सम्पदा, शोध और नवाचार का योगदान लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में 12 नवंबर को विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के द्वारा प्रकाशित विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक (डब्ल्यूआईपीआई) रिपोर्ट 2024 के मुताबिक भारत ने तीन प्रमुख बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपी)- पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइनों के लिए वैश्विक शीर्ष 10 देशों में स्थान प्राप्त किया है। बौद्धिक सम्पदा में अविष्कार, रचनात्मक कार्य, कलात्मक कार्य, डिजाइन, कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क, शोध व नवाचार शामिल हैं। दुनिया भर में यह रेखांकित हो रहा है कि भारत ने कॉपीराइट अधिकारों के उल्लंघन पर गतिशील निषेधात्मक आदेश जारी कर कॉपीराइट की नकल रोकने के सशक्त प्रयास किए हैं। इसके अलावा आईपी-आधारित कर रियायतें देकर और नकली उत्पादों के बारे में जागरूकता फैलाकर भी भारत ने इस दिशा में उल्लेखनीय काम किया है।

गौरतलब है कि इस रिपोर्ट के अनुसार पेटेंट के लिए भारत 64,480 आवेदनों के साथ विश्व स्तर पर छठे स्थान पर हैं। यह देश के लिए पहली बार है। पेटेंट कार्यालय ने वर्ष 2022 की तुलना में 2023 में 149.4 प्रतिशत अधिक पेटेंट भी प्रदान किए। रिपोर्ट में भारत के औद्योगिक डिजाइन अनुप्रयोगों में 36.4 प्रतिशत वृद्धि को भी दर्शाया गया है जो भारत में उत्पाद डिजाइन, विनिर्माण और रचनात्मक उद्योगों की वृद्धि के अनुरूप है। वर्ष 2018 और 2023 के बीच, पेटेंट और औद्योगिक डिजाइन आवेदन दोगुने से अधिक हो गए, जबकि ट्रेडमार्क दाखिल करने में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वैश्विक स्तर पर भारत ट्रेडमार्क फाइलिंग में चौथे स्थान पर है, जिसमें 2023 में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत का ट्रेडमार्क कार्यालय दुनिया भर में सक्रिय पंजीकरण के मामले में दूसरे स्थान पर है जहां भारी संख्या में पंजीकरण कराए जाते हैं। इसमें 32 लाख से अधिक ट्रेडमार्क प्रभावी हैं, जो वैश्विक तौर पर ब्रांड संरक्षण में देश की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।

इसी तरह बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े अन्य वैश्विक संगठनों की रिपोर्टों में भी भारत लगातार ऊँचाई प्राप्त करते हुए दिखाई दे रहा है। सितंबर 2024 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा प्रकाशित ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2024 की रैंकिंग में 133 अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने 39वाँ स्थान हासिल किया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि जो भारत जीआईआई रैंकिंग में 2015 में 81वें स्थान पर था, अब वह 39वें स्थान पर पहुंच गया है। जीआईआई 2024 के तहत भारत निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है भारत मध्य और दक्षिणी एशिया क्षेत्र की 10 अर्थव्यवस्थाओं में भी पहले स्थान पर है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) क्लस्टर रैंकिंग में चौथे स्थान पर है। भारत के प्रमुख शहर मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई दुनिया के शीर्ष 100 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्लस्टरों में सूचीबद्ध हैं और भारत अमूर्त संपत्ति तीव्रता में वैश्विक स्तर पर सातवें स्थान पर है। इतना ही नहीं दुनिया की प्रसिद्ध अमेरिकी उद्योग मंडल ‘यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स’ के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर के द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट में वैश्विक बौद्धिक संपदा (आईपी) सूचकांक 2024 में भारत दुनिया की 55 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से 42वें स्थान पर रेखांकित हुआ है।

यह बात महत्वपूर्ण है कि बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार के बहुआयामी लाभ होते हैं। इनके आधार पर किसी देश में विभिन्न देशों के उद्यमी और कारोबारी अपने उद्योग-कारोबार शुरू करने संबंधी निर्णय लेते हैं। यद्यपि भारत के विकास में बौद्धिक संपदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े तीन आधारों की बढ़ती भूमिका दिखाई दे रही है, लेकिन इन आधारों से विकास को ऊंचाई देने के लिए इस क्षेत्र में सरकार व निजी क्षेत्र का परिव्यय बढ़ाना होगा। इस समय भारत में आरएंडडी पर जीडीपी का करीब 0.67 प्रतिशत ही व्यय हो रहा है। दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब दो फीसदी शोध एवं विकास में व्यय किया जाता है। हमें अपने औद्योगिक ढांचे में बदलाव लाना होगा, अपनी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए बदलाव को आकार देना होगा, अपनी कंपनियों पर प्रतिस्पर्धी होने का दबाव बनाने के लिए व्यापार नीति का इस्तेमाल करना होगा तथा सार्वजनिक शोध प्रणाली में परिवर्तन करना होगा।

हम उम्मीद करें कि सरकार जीसीसी से संबंधित लैंडस्केप रिपोर्ट 2024 और डब्ल्यूआईपीओ के द्वारा प्रकाशित डब्ल्यूआईपी रिपोर्ट 2024 के साथ-साथ बौद्धिक सम्पदा, शोध व नवाचार से संबंधित वर्ष 2024 की विभिन्न रिपोर्टों के मद्देनजर देश में बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार को नई ऊँचाई देने के लिए आगे बढ़ेगी। इससे जहाँ दुनियाभर से और अधिक जीसीसी भारत की ओर आते हुए दिखाई दे सकेंगे। साथ ही इससे देश को वर्ष 2030 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाने के बड़े लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

लेखक ख्यात अर्थशास्त्री हैं।