भारत ने चीन जाकर चीन-पाक गठजोड़ बेनकाब किया... साझा बयान रुकवाया
एससीओ जॉइंट स्टेटमेंट - राजनाथ का साइन नहीं, जयशंकर का समर्थन: जयशंकर ने कहा, "एक देश चाहता था कि संयुक्त बयान में आतंकवाद का कोई जिक्र न हो, और आप अंदाजा लगा सकते हैं वह कौन सा देश है।" उन्होंने जोर देते हुए कहा कि एससीओ को आतंकवाद से लड़ने के उद्देश्य से बनाया गया था।
एएनआई से बातचीत में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि एक देश ने संयुक्त बयान में आतंकवाद को शामिल न करने की मांग की, जो कि इस संगठन के उद्देश्य के खिलाफ था। जयशंकर ने कहा, "भारत का यह कदम केवल कूटनीतिक विरोध नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सिद्धांतों की रक्षा का प्रतीक था।" उन्होंने कहा, "आतंकवाद और शांति एक साथ नहीं चल सकते।"
जयशंकर ने आपातकाल पर भी कांग्रेस पर निशाना साधा: 27 जून को दिल्ली में भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, "यह सब एक परिवार की वजह से हुआ। 'किस्सा कुर्सी का' नाम की एक फिल्म है, जो आपातकाल लागू करने के पीछे की असली वजह को दर्शाती है। जब एक परिवार को राष्ट्र से ऊपर माना जाता है, तो ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।"
एससीओ में स्टेटमेंट से जुड़ा विवाद
चीन के किंगदाओ में 26 जून को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई। इसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ दोनों शामिल हुए थे। हालांकि, राजनाथ सिंह ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री से मुलाकात नहीं की और एससीओ के जॉइंट स्टेटमेंट पर भी साइन करने से इनकार कर दिया। यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को शामिल नहीं करता था, जबकि पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हुए आतंकी हमले का जिक्र था। भारत ने इस पर नाराजगी जताई।
राजनाथ सिंह ने बैठक में कहा, "कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति मानते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं, फिर इसे नकारते हैं। ऐसे डबल स्टैंडर्ड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्हें समझना होगा कि अब आतंकवाद का एपिसेंटर सुरक्षित नहीं है।"
विदेश मंत्रालय का बयान: एक खास देश को भारत की बात मंजूर नहीं थी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में सभी देश एक साझा बयान पर सहमत नहीं हो सके, जिससे उस दस्तावेज को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। मंत्रालय के मुताबिक, भारत चाहता था कि इस बयान में आतंकवाद और उससे संबंधित चिंताओं को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाए, लेकिन एक खास देश को यह स्वीकार नहीं था। राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील की।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि जो लोग आतंकवाद फैलाते हैं, चाहे वे सीमा पार से हमले कराएं, वित्तीय मदद दें या आतंकवाद का आयोजन करें, उन्हें सजा मिलनी चाहिए और कानून के सामने लाया जाना चाहिए।
राजनाथ सिंह का एससीओ में संबोधन: 3 प्रमुख बिंदु
- राजनाथ ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं, और इन समस्याओं की असली वजह कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में बढ़ोत्तरी है।
- भारत की आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता नीति आज हमारे कार्यों में भी दिखती है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा करने का हमारा अधिकार भी शामिल है।
- उन्होंने कहा कि हम सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार काम करते रहे हैं, और यह हमारी संस्कृत कहावत 'सर्वे जन सुखिनो भवन्तु' को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।
एससीओ क्या है?
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके सदस्य बने, और 2023 में ईरान भी सदस्य बना। एससीओ का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाना है। यह संगठन आतंकवाद, उग्रवाद, ड्रग तस्करी और साइबर अपराध जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति तैयार करता है।