भारत की पनडुब्बी मत्स्य-6000 टेस्ट में पास


भारत की चौथी पीढ़ी की वैज्ञानिक पनडुब्बी मत्स्य-6000 ने बंदरगाह पर वेट टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। गहरे समुद्र के रहस्यों का पता लगाने वाली भारत की महत्वाकांक्षी समुद्रयान परियोजना के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है। 17 फरवरी को जारी बयान के अनुसार इस सफलता से मत्स्य-6000 के इस इसी वर्ष समुद्र में 500 मीटर तक की गहराई में उतरने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

डिजाइन पूरा होने के बाद पनडुब्बी के एकीकरण और प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कई परीक्षण किए गए थे। इन परीक्षणों के बाद इसे वेट टेस्ट और कार्यक्षमता प्रदर्शन करने के लिए 27 जनवरी से 12 फरवरी 2025 तक चेन्नई के पास कट्टुपल्ली बंदरगाह पर स्थित एलएंडटी शिपबिल्डिंग केंद्र में ले जाया गया था। परीक्षणों का उद्देश्य कई महत्वपूर्ण मापदंडों पर मत्स्य के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना था।

नेविगेशन और संचार क्षमताओं की जांच की गई। वैज्ञानिक पेलोड, जिसमें कई समुद्र विज्ञान सेंसर शामिल थे, उनकी कार्यक्षमता की पुष्टि करने के लिए परीक्षण किए गए। बंदरगाह में पानी की गहराई सीमित होने के कारण, पानी के भीतर ध्वनि संचार कम प्रभावी था। अब समुद्र में 500 मीटर की गहराई तक उथले पानी में इसका परीक्षण किया जाएगा।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान को समुद्रयान परियोजना के तहत मत्स्य -6000 को डिजाइन और विकसित करने का कार्य सौंपा है। इसका उद्देश्य समुद्री अन्वेषण के लिए तीन लोगों को समुद्र में छह हजार मीटर की गहराई तक ले जाना है।

मत्स्य-6000 की प्रमुख विशेषताओं में सभी दिशाओं में गति के लिए थ्रस्टर्स, बिजली की आपूर्ति के लिए बैटरी बैंक शामिल हैं।




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