भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान के लिए 64,000 करोड़ रुपये का सौदा किया
प्रकाशित तिथि: 28 अप्रैल 2025
28 अप्रैल 2025 को भारत और फ्रांस ने लगभग ₹64,000 करोड़ (₹63,000 करोड़) के एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो भारत की अब तक की सबसे बड़ी रक्षा खरीद है। इस सौदे के तहत, भारत को डैसो एविएशन से 26 राफेल मरीन (राफेल-एम) लड़ाकू विमान मिलेंगे, जिनमें 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर विमान शामिल हैं। पहली डिलीवरी 2028 में होने की उम्मीद है, और सभी विमान 2030 तक भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे। ये विमान भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर तैनात किए जाएंगे, जो पुराने MiG-29K बेड़े की जगह लेंगे।
समझौते में राफेल के फ्यूजलेज निर्माण, इंजन रखरखाव, और अन्य घटकों के लिए भारत में स्थानीय साझेदारों के साथ सहयोग भी शामिल है, जिससे घरेलू रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा। भारतीय नौसेना के कर्मियों के लिए प्रशिक्षण फ्रांस और भारत दोनों स्थानों पर आयोजित किया जाएगा।
राफेल-एम की प्रमुख विशेषताएँ:
- लड़ाकू रेंज: 1,850 किमी
- फेरी रेंज: 3,700 किमी
- अधिकतम ऊंचाई: 50,000 फीट
- वजन: 15,000 किलोग्राम
- ईंधन क्षमता: 11,202 किलोग्राम
- गति: 2,205 किमी/घंटा तक
- हथियार प्रणाली: 14 हार्डपॉइंट्स, विभिन्न एयर-टू-एयर, एयर-टू-ग्राउंड, और परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम
- क्षमताएँ: उन्नत एवियोनिक्स, स्टेल्थ फीचर्स, और हवाई ईंधन भरने की क्षमता
राफेल-एम की प्रभावशाली रेंज और पेलोड क्षमता इसे चीन के J-10 और J-15, और पाकिस्तान के JF-17 और F-16 जैसे चौथी पीढ़ी के विमानों की तुलना में श्रेष्ठ बनाती है। राफेल-एम को 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान माना जाता है, जो उन्नत युद्धक क्षमता प्रदान करता है।
यह अधिग्रहण भारत की सैन्य आधुनिकीकरण की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रूसी मूल के उपकरणों पर निर्भरता को कम करना और फ्रांस के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करना है, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा शस्त्र आपूर्तिकर्ता है। इस सौदे से हजारों रोजगार सृजित होने की संभावना है और घरेलू रक्षा उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।