भारत ने निजी खपत बढ़ने की रफ्तार के मामले में अमेरिका, चीन और जर्मनी को पीछे छोड़ दिया है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2026 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा।
डेलॉय इंडिया द्वारा रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में निजी खपत 2013 के 1 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 2024 तक 2.1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में निजी खपत हर साल 7.2% की चक्रवृद्धि दर से बढ़ रही है, जो अमेरिका, चीन और जर्मनी से अधिक तेज है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कई कारक हैं, जो निजी खपत में तेजी ला रहे हैं, जैसे अधिक प्रीमियम भुगतान और उपभोक्ताओं की पसंद में बदलाव। बढ़ती समृद्धि के साथ उपभोक्ता अब कीमत की तुलना में गुणवत्ता, सुविधा और अनुभव को प्राथमिकता दे रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगले वर्ष तक तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार के रूप में उभरने के साथ जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए भी अच्छी स्थिति में है।
डिजिटल समावेशन से बढ़ रही कर्ज तक पहुंच
डिजिटल और वित्तीय समावेशन से कर्ज तक पहुंच अभूतपूर्व गति से बढ़ रही है। क्रेडिट कार्ड की पहुंच 2024 में 10.2 करोड़ से बढ़कर 2030 तक 29.6 करोड़ हो जाएगी, जिससे उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी।
फिनटेक समाधान और यूपीआई जैसे डिजिटल भुगतान उपभोक्ताओं के ब्रांड से जुड़ने के तरीके को नया रूप दे रहे हैं। ई-कॉमर्स को अपनाने और डिजिटल फर्स्ट उपभोग की नई लहर को बढ़ावा मिल रहा है।
2030 तक 10,000 डॉलर से अधिक कमाने वालों की संख्या तीन गुना होगी
रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 10,000 डॉलर से अधिक कमाने वाले भारतीयों की संख्या लगभग तीन गुना हो जाएगी। 2024 में छह करोड़ ऐसे लोग होंगे, जो 2030 तक 16.5 करोड़ तक पहुंच जाएंगे। यह देश के मध्य वर्ग की महत्वपूर्ण वृद्धि और विवेकाधीन खर्च की ओर एक मौलिक बदलाव को दर्शाता है।
जनरेशन Z और मिलेनियल्स का उपभोक्ता प्राथमिकताओं पर असर
भारत की कुल आबादी में 52% हिस्सा रखने वाले जनरेशन Z और मिलेनियल्स इस बदलाव और प्रीमियम ब्रांड, टिकाऊ उत्पादों और व्यक्तिगत अनुभवों की मांग को आगे बढ़ा रहे हैं।
प्रति व्यक्ति आय 2030 तक 4,000 डॉलर से अधिक होगी
भारत की प्रति व्यक्ति आय 2030 तक 4,000 डॉलर से अधिक हो जाएगी। यह व्यवसायों के लिए ग्राहकों की बदलती अपेक्षाओं को पूरा करने का एक अद्वितीय अवसर होगा।
उपभोक्ता परिदृश्य परिवर्तन के दौर में
डेलॉय इंडिया के भागीदार आनंद रामनाथन ने कहा, "भारत का उपभोक्ता परिदृश्य परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। विवेकाधीन खर्च में वृद्धि, डिजिटल कॉमर्स का विस्तार और कर्ज तक बढ़ती पहुंच ब्रांड से जुड़ाव के नियमों को फिर से परिभाषित कर रही है।" रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा, "विवेकाधीन खर्च वृद्धि के नए चरण में प्रवेश कर रहा है, जो बढ़ती आय, डिजिटल स्वीकार्यता और विकसित उपभोक्ता प्राथमिकताओं से प्रेरित है।"
भारत का संगठित खुदरा कारोबार 230 अरब डॉलर तक पहुंचेगा
भारत का संगठित खुदरा कारोबार 10% की सालाना दर से बढ़ रहा है। बढ़ती खर्च योग्य आय और विकसित उपभोक्ता प्राथमिकताओं के कारण, 2030 तक इसका आकार 230 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।