अमेरिका ने कनाडा और मैक्सिको से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया है, जो 4 मार्च से लागू हो गया है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच शुरू हो चुकी इस व्यापारिक लड़ाई का फायदा भारत को मिल सकता है। अमेरिका के बाजार में स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्यात पहले से ही बढ़ रहा है, और अब इसमें और बढ़ोतरी हो सकती है। भारत को प्रोसेस्ड फूड और मांस के निर्यात में भी बढ़ोतरी का मौका मिल सकता है।
शुल्क में बढ़ोतरी से चीन, मैक्सिको और कनाडा से अमेरिका में आने वाली वस्तुएं महंगी हो जाएंगी, जबकि भारतीय वस्तुएं अपेक्षाकृत सस्ती हो जाएंगी। इसके कारण अमेरिका में भारत से आने वाली इन वस्तुओं की मांग बढ़ सकती है। स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्यात पहले से ही बढ़ रहा है, अब इसमें और वृद्धि हो सकती है। भारत को प्रोसेस्ड फूड, मांस, फल, और सब्जी के निर्यात में भी लाभ हो सकता है।
मैक्सिको अमेरिका को सालाना 10 अरब डॉलर की सब्जी और 11 अरब डॉलर के फल निर्यात करता है। 2024 में, चीन ने अमेरिका को 438 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया था। मैक्सिको और कनाडा भी अमेरिका को सालाना 400 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात करते हैं। अमेरिकी व्यापार विभाग के अनुसार, भारत अमेरिका को सालाना 90 अरब डॉलर का निर्यात करता है।
अमेरिका के जवाब में, चीन ने सोयाबीन, मांस और गेहूं जैसी वस्तुओं पर 15 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया है। विदेश व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को इस अवसर का फायदा उठाने के लिए अमेरिका से होने वाली उन वस्तुओं के आयात पर शुल्क कम करना होगा, जिनका भारत अधिक मात्रा में निर्यात करता है। उदाहरण के लिए, भारत से अमेरिका जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर अमेरिका औसतन 0.4 प्रतिशत का शुल्क लेता है, जबकि भारत अमेरिका से आने वाली इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर 7.64 प्रतिशत का शुल्क वसूलता है।
भारत कृषि और संबंधित वस्तुओं पर 32 प्रतिशत अधिक शुल्क वसूलता है। अमेरिका ने भारत के साथ भी पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो अप्रैल से लागू हो सकता है। हालांकि, इसका आधार अभी तय होना बाकी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अगले माह से अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की वार्ता शुरू करने के लिए अमेरिका के दौरे पर हैं।