भारत अपनी वैश्विक मूल्य श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ाएगा


भारत अपनी वैश्विक मूल्य श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ाएगा

23 मार्च को, भारत की वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVC) में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 3.3 प्रतिशत है। मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाकर ही भारत अपनी GVC में हिस्सेदारी बढ़ा सकता है। GVC में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने से वैश्विक मंच पर भारत का दबदबा बढ़ेगा।

मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि होगी और नए रोजगार उत्पन्न होंगे। मूल्य श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने सरकार से मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और ऑटोमोटिव क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की सिफारिश की है। इन तीन क्षेत्रों में भारत लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, इसलिए इनमें GVC में महत्वपूर्ण हिस्सेदार बनने की पूरी संभावना है।

इन तीन क्षेत्रों के अलावा, नीति आयोग ने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने और GVC में महत्वपूर्ण हिस्सेदार बनने के लिए 10 अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है। इनमें सुरक्षा और ड्रोन, वस्त्र, सोलर पीवी, पूंजीगत वस्तुएं, स्टील, खाद्य प्रसंस्करण, चमड़ा और फुटवियर, फार्मास्युटिकल्स, टेलीकॉम उपकरण और विमान निर्माण शामिल हैं। वर्तमान में भारत के जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 17 प्रतिशत है।

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मुख्य रूप से चीन, अमेरिका, जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे देशों का दबदबा है।

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, रसायन और ऑटोमोटिव दोनों ही भारत के जीडीपी में सात- सात प्रतिशत का योगदान करते हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर ऑटोमोटिव निर्यात में भारत की हिस्सेदारी केवल तीन प्रतिशत है। इस हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए आयोग ने इंजन, इंजन घटक, ड्राइव ट्रांसमिशन, स्टीयरिंग घटक, कूलिंग सिस्टम, सस्पेंशन, ब्रेकिंग सिस्टम और चेसिस बनाने की सिफारिश की है। इन वस्तुओं का उत्पादन वर्तमान में बहुत कम हो रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक्स के कारोबार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने केवल ऑटो कंपोनेंट्स का 7.70 अरब डॉलर का निर्यात किया था।

भारत मुख्य रूप से अमेरिका, तुर्की, जर्मनी, मैक्सिको और ब्राजील को ऑटो कंपोनेंट्स का निर्यात करता है।

रसायन के क्षेत्र में, भारत 80,000 से अधिक उत्पाद बनाता है और उद्योग जगत को विभिन्न प्रकार के कच्चे माल भी उपलब्ध कराता है।

20 लाख से अधिक लोग रसायन क्षेत्र में काम करते हैं और इसके विस्तार से रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

GVC में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए भारत ने वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के कारोबार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। इसमें 200-225 अरब डॉलर का निर्यात शामिल होगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने पर 55-60 लाख नए रोजगार उत्पन्न होने की संभावना है।

500 अरब डॉलर के कारोबार में 350 अरब डॉलर तैयार उत्पादों का होगा जबकि 150 अरब डॉलर इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों का होगा। नीति आयोग की सिफारिशों के अनुसार, सरकार इन सभी 13 क्षेत्रों में नीतिगत सहायता के साथ अनुसंधान और विकास पर भी पूरा ध्यान दे रही है। इसके अलावा, सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन, रक्षा जैसे क्षेत्रों में नए-नए उत्पादों के विकास के लिए नियमित रूप से हैकथॉन आयोजित कर रही है।




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