अमेरिकी रक्षा विभाग और भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने द्विपक्षीय, नॉन बाइडिंग सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई मैनेजमेंट समझौते पर दस्तखत किए। अमेरिका के साथ दो बेहद अहम रक्षा समझौतों पर दस्तखत किए। इनमें एक सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई मैनेजमेंट (SOSA) और दूसरा लाइजनिंग अफसरों की नियुक्ति को लेकर है। इनमें SOSA द्विपक्षीय और गैर-बाध्यकारी समझौता है, जिसे अमेरिका ने अभी तक केवल 18 देशों के साथ ही किया है। इस समझौते के तहत, दोनों देश राष्ट्रीय रक्षा को बढ़ावा देने वाली वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक-दूसरे को प्राथमिकता देंगे। वहीं, माना जा रहा है कि सोसा पर दस्तखत होने के बाद तेजस को इंजन की जल्द सप्लाई सुनिश्चित हो सकेगी। साथ ही यह अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई) को मजबूत करने में एक प्रमुख कारक साबित होगा।
क्या है SOSA?
सोसा पर दस्तखत होने से दोनों देशों को राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अप्रत्याशित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों को हल करने के लिए एक दूसरे से आवश्यक औद्योगिक संसाधन प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी। सोसा के तहत दोनों देश डिफेंस के लिए जरूरी सामान की सप्लाई के लिए एक-दूसरे को प्राथमिकता देंगे। वहीं, सोसा पर हस्ताक्षर ऐसे वक्त में हुए हैं, जब यूक्रेन-रूस युदेध के चलते पूरी दुनिया में सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। जिसके प्रभाव से भारत भी अछूता नहीं रहा है। वहीं, भारत अमेरिका का 18वां SOSA साझेदार है। अन्य SOSA साझेदारों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, इजरायल, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्पेन, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।
क्या है लाइजनिंग अफसरों का समझौता?
दोनों देशों के बीच संपर्क अधिकारियों (लाइजनिंग अफसरों) की नियुक्ति। पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने इस बात पर गौर किया था कि एक-दूसरे के सैन्य संगठनों में सूचना साझा करना और संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति करना महत्वपूर्ण है। जिससे संयुक्त सेवा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।