प्रवासी भारतीयों ने ₹11.63 लाख करोड़ रेमिटेंस भेजा, एफडीआई से अधिक
वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड रेमिटेंस
वित्त वर्ष 2024-25 में विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने ₹11.63 लाख करोड़ यानी 135.46 अरब डॉलर की रिकॉर्ड राशि भारत भेजी है। यह अब तक की सबसे बड़ी रेमिटेंस राशि है, जो कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से भी अधिक है।
यह बढ़ोतरी दर्शाती है कि विदेशों में बसे भारतीय न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं, बल्कि वे अपने देश और परिवार से जुड़ाव भी बनाए हुए हैं।
8 वर्षों में दोगुना हुआ रेमिटेंस
वर्ष 2014-15 में भारत को जहां ₹6 लाख करोड़ की रेमिटेंस प्राप्त हुई थी, वहीं अब यह आंकड़ा दोगुने से अधिक हो चुका है। पिछले 8 वर्षों में इसमें लगभग 16% वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, भारत लगातार विश्व का सबसे बड़ा रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश बना हुआ है।
तुलना में, मैक्सिको को ₹5.8 लाख करोड़ और चीन को ₹4.1 लाख करोड़ की रेमिटेंस मिली है।
वर्षवार रेमिटेंस आंकड़े
- 2014-15: ₹6.00 लाख करोड़
- 2015-16: ₹5.62 लाख करोड़
- 2016-17: ₹5.26 लाख करोड़
- 2017-18: ₹5.93 लाख करोड़
- 2018-19: ₹6.55 लाख करोड़
- 2019-20: ₹7.13 लाख करोड़
- 2020-21: ₹6.87 लाख करोड़
- 2021-22: ₹7.64 लाख करोड़
- 2022-23: ₹9.64 लाख करोड़
- 2023-24: ₹10.18 लाख करोड़
- 2024-25: ₹11.63 लाख करोड़
प्रमुख रेमिटेंस स्रोत देश
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार, कुल रेमिटेंस का लगभग 45% हिस्सा अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर से आया है। इन विदेशी फंड्स की मदद से भारत के व्यापार घाटे का लगभग 47% तक संतुलन बनता है।