भारत की पहली डिजिटल जनगणना 2027 - 9 महीनों में परिणाम


जनगणना पहली बार डिजिटल प्लेटफॉर्म से होगी, नतीजे 9 महीने में संभव

भारत में 2027 में होने वाली 16वीं जनगणना पहली बार डिजिटल माध्यम से की जाएगी। जनगणना महापंजीयक कार्यालय के अनुसार इस बार जातीय गणना और जनगणना दोनों डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से होंगी। इसके लिए विशेष वेब पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिस पर नागरिक स्वयं अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे।

इस डिजिटल प्रक्रिया के कारण नतीजे पहले की तुलना में जल्दी मिल सकेंगे। 16वीं जनगणना के आंकड़े केवल 9 महीने में आने की उम्मीद है, जबकि पहले इसमें 18 महीने लगते थे। इस बार जातीय गणना भी की जाएगी।

डिजिटल माध्यम से तेज़ और सटीक डेटा संग्रह

डिजिटल जनगणना से डेटा सीधे सेंट्रल सर्वर पर भेजा जाएगा, जिससे प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी होगी। जनगणना का कार्य मार्च 2027 तक पूरा कर लिया जाएगा। अप्रैल से दिसंबर 2027 तक डेटा प्रोसेसिंग, पुष्टि और विश्लेषण का कार्य होगा। दिसंबर 2027 तक परिणाम जारी किए जाने की संभावना है।

स्वगणना विकल्प और बहुभाषी एप

वेब पोर्टल पर स्वगणना की सुविधा उपलब्ध रहेगी। मोबाइल एप के माध्यम से हिंदी, अंग्रेजी सहित 16 भाषाओं में जानकारी एकत्र की जाएगी। यह पोर्टल मकान सूचीकरण, आवास जनगणना (HLO) और जनसंख्या गणना के लिए उपयोग किया जाएगा।

प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज रहेंगी

1 जनवरी 2026 से मार्च 2027 तक प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज रहेंगी। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 दिसंबर 2025 तक सीमाओं में बदलाव करने होंगे। इसके बाद कोई परिवर्तन मान्य नहीं होगा।

तीन स्तरीय प्रशिक्षण और बड़ी टीम

करीब 34 लाख गणनाकर्मी और सुपरवाइज़र तैनात किए जाएंगे। प्रशिक्षण प्रणाली तीन स्तरों पर होगी—नेशनल ट्रेनर, मास्टर ट्रेनर और फील्ड ट्रेनर।

मोबाइल एप और एआई टूल्स से पेपरलेस जनगणना

जनगणना इस बार लगभग पूरी तरह पेपरलेस होगी। मोबाइल एप, रीयल टाइम डेटा ट्रांसफर, GPS टैगिंग और AI आधारित इंटेलीजेंट कैरेक्टर रिकग्निशन टूल्स के माध्यम से गलतियों की संभावना कम होगी। देशव्यापी प्रचार अभियान के जरिए आम जनता को जानकारी दी जाएगी।

जनगणना दो चरणों में होगी

जनगणना दो चरणों में की जाएगी। गृह मंत्रालय द्वारा 16 जून को अधिसूचना जारी की गई:

  • पहला चरण: 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा – मकान सूचीकरण
  • दूसरा चरण: 1 मार्च 2027 से अधिकांश राज्यों में जनगणना
  • पहाड़ी राज्यों (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख) में दूसरा चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा

देश में 9वीं बार होगी जातीय जनगणना

भारत में अब तक 8 बार जातीय जनगणना हो चुकी है – 7 बार ब्रिटिश काल में और एक बार 2011 में। 2011 की जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे। उस समय जातियों की कोई पूर्व सूची नहीं बनाई गई थी, जिससे 46 लाख से अधिक जातियां दर्ज हो गई थीं। इस बार सरकार ऐसी गलती नहीं दोहराना चाहती।

निष्कर्ष

2027 की जनगणना भारत में एक ऐतिहासिक परिवर्तन लाएगी। डिजिटल माध्यम, तेज़ परिणाम, सटीक डेटा और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी इसे एक प्रभावशाली और पारदर्शी प्रक्रिया बनाएगी।




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