भारत की जीडीपी वृद्धि दर चीन और अमेरिका से ज्यादा रही


28 फरवरी को भारत की अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 6.2% वृद्धि दर्ज की, जो पिछली तिमाही में 5.6% (संशोधित) थी। हालांकि, पिछले आंकड़ों में संशोधन ने अर्थशास्त्रियों को उलझन में डाल दिया है, जिससे आंकड़ों की शुचिता को लेकर चिंता बढ़ गई है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान है, जबकि जनवरी के पहले अग्रिम अनुमान में यह 6.4% रहने का अनुमान था। चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में जीडीपी की औसत वृद्धि दर 6.1% रही है, और पूरे साल के लिए 6.5% वृद्धि दर का अनुमान हासिल करने के लिए चौथी तिमाही में 7.6% वृद्धि होनी चाहिए। हालांकि, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस दर को हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा।

वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान के अलावा, मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023 के वृद्धि दर अनुमान को 7% से बढ़ाकर 7.6% कर दिया है, जबकि वित्त वर्ष 2024 के 8.2% वृद्धि दर अनुमान को बढ़ाकर 9.2% कर दिया है। वित्त वर्ष 2025 के लिए नॉमिनल जीडीपी ₹331 लाख करोड़ रहने का अनुमान है, जो 9.9% की वृद्धि को दर्शाता है। पहले अनुमान में इसे 9.7% वृद्धि बताया गया था। इस अनुमान से सरकार को वित्त वर्ष 2025 के लिए संशोधित राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.8% तक सीमित रखने में मदद मिल सकती है।

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, "आगे के संशोधनों में पूरी साल के अनुमान में कमी हो सकती है। हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) में जीडीपी वृद्धि 6.8% रहेगी। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधि में थोड़ी वृद्धि हुई है, लेकिन यह अभी भी मामूली रही है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक अप्रैल में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रीपो दर में 25 आधार अंकों की और कटौती कर सकता है।"

दिसंबर तिमाही में कृषि क्षेत्र में 5.6% की शानदार वृद्धि देखी गई, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में केवल 3.5% की वृद्धि हुई। निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 7% रह गई, जो सितंबर तिमाही में 8.7% थी। हालांकि, सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा और दिसंबर तिमाही में इसमें 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई।

इंडिया रेटिंग्स के अर्थशास्त्री पारस जसराय ने कहा कि निम्न आय वर्ग में खपत की मांग का दायरा बढ़ रहा है, जो कृषि के लिए ग्रामीण मजदूरी में वास्तविक वृद्धि से स्पष्ट है। यह वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में सकारात्मक बनी हुई है। उन्होंने कहा, "एफएमसीजी कंपनियों के तिमाही नतीजों से भी ग्रामीण मांग में लगातार सुधार होने का संकेत मिला है, जो उपभोग और जीडीपी वृद्धि दोनों के लिए अनुकूल है।"

राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य का 74.5%

केंद्र का राजकोषीय घाटा जनवरी 2025 के अंत में वार्षिक लक्ष्य के 74.5% तक पहुंच गया। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, राजकोषीय घाटा अप्रैल-जनवरी 2024-25 की अवधि में ₹11.69 लाख करोड़ रहा। एक साल पहले की समान अवधि में राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान का 63.6% था। चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा ₹15.69 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर है। यह सरकार की कुल उधारी को बताता है।




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