भारत का पांडुलिपि डिजिटलीकरण और विरासत संरक्षण
भारत सरकार ने 11 अगस्त को लोकसभा में बताया कि 2003 से अब तक कुल 3.5 लाख पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया गया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि अब तक 92 पांडुलिपि संरक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 42 वर्तमान में सक्रिय हैं।
मंत्री से पूछा गया था कि क्या सरकार सितंबर 2025 में ज्ञान भारतम मिशन के तहत स्वामी विवेकानंद के शिकागो संबोधन (11 सितंबर, 1893) की स्मृति में "पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना" शीर्षक से पहला अंतर्राष्ट्रीय पांडुलिपि विरासत सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव रखती है। उन्होंने सम्मेलन के मुख्य विषय और फोकस क्षेत्र इस प्रकार बताए:
- प्राचीन लिपियों का डिकोडिंग: सिंधु, गिलगित और शंख
- सर्वेक्षण, प्रलेखन, मेटाडेटा मानक और डिजिटल अभिलेखीकरण
- पांडुलिपि विज्ञान और पुरालेख विज्ञान, कोडिकोलॉजी
- डिजिटलीकरण उपकरण, प्लेटफार्म और प्रोटोकॉल (HTR, ए.आई., IIIF)
- पांडुलिपियों का संरक्षण और पुनरुद्धार
- पांडुलिपियों को डिकोड करना: भारतीय ज्ञान प्रणाली के मार्ग
- सांस्कृतिक कूटनीति के उपकरण के रूप में पांडुलिपियाँ
- पांडुलिपि संरक्षण और पहुँच के लिए कानूनी और नैतिक ढांचे
अपने उत्तर में केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने कहा कि 2003 से अब तक कुल 3.50 लाख पांडुलिपियाँ डिजिटलीकरण की गई हैं। उन्होंने आगे कहा, "अब तक 92 पांडुलिपि संरक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 42 वर्तमान में सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त, 93 पांडुलिपि संसाधन केंद्र हैं, जिनमें से 37 वर्तमान में सक्रिय हैं।"