मध्य प्रदेश सरकार ने इंदौर और भोपाल को मेट्रोपॉलिटन सिटी के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने "मध्य प्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक 2025" विधानसभा में प्रस्तुत किया है। इस विधेयक में महानगर नियोजन समिति, विकास प्राधिकरण, एकीकृत परिवहन प्राधिकरण और एक समर्पित मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास योजना का गठन प्रस्तावित है।
निवेश और विकास योजना
इन दोनों शहरों के लिए विकास योजना कम से कम 15 वर्षों के लिए बनाई जाएगी। इसमें आर्थिक विकास, भूमि उपयोग, जल निकासी, यातायात, औद्योगिक क्षेत्र, पर्यटन, जल आपूर्ति और वन संरक्षण जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा। योजना समिति इस योजना के प्रारूप निर्माण में मदद करेगी। मुख्यमंत्री इस अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे और नगरीय विकास, पंचायत एवं राजस्व मंत्री उपाध्यक्ष रहेंगे। मुख्य सचिव सदस्य होंगे।
महानगर नियोजन समिति प्रारूप योजना को स्वीकृति देगी और फिर जनता से सुझाव एवं आपत्तियाँ आमंत्रित की जाएंगी। राज्य सरकार द्वारा अंतिम मंजूरी के बाद योजना लागू होगी।
विशेष अधिकार और फंडिंग
राज्य सरकार 200 करोड़ रुपये की राशि विकास फंड के रूप में देगी और महानगर अथॉरिटी 100 करोड़ रुपये स्वयं सृजित करेगी। इस प्राधिकरण को भूमि अधिग्रहण और नए कर लगाने जैसे विशेष अधिकार मिलेंगे। महानगर आयुक्त को निरीक्षण और सर्वेक्षण हेतु अतिरिक्त अधिकार प्राप्त होंगे।
आसपास के शहरों को जोड़ने की योजना
सरकार की योजना इंदौर को उज्जैन, देवास और धार से जोड़कर एक संयुक्त महानगर क्षेत्र बनाने की है। इसी तरह की योजना भोपाल के लिए भी बनाई जा रही है।
भवन अनुज्ञा के अधिकार पूर्ववत रहेंगे
महानगर अथॉरिटी के गठन के बाद भी भवन अनुज्ञा देने का अधिकार स्थानीय निकायों के पास ही रहेगा। शासकीय विभागों को निर्माण कार्य शुरू करने से पहले अथॉरिटी को सूचित करना होगा। आपत्ति की स्थिति में अथॉरिटी अनुमति रद्द कर सकेगी। यदि अनुमति नहीं मिलती है तो अपील का प्रावधान भी होगा।