25 जून को चीन का मून मिशन चांद की सतह से मिट्टी लेकर धरती पर पहुंच गया। इसी के साथ वह पहला देश बन गया है, जो चांद के अंधेरे हिस्से से सैंपल लाने में सफल रहा है। चीनी नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन का चैंग'ई-6 लैंडर 53 दिन बाद कैप्सूल में सैंपल लेकर धरती पर लौटा है।
इसके जरिए चीन स्पेस पावर बनने के और करीब पहुंच गया है।
इंसानों को भेजने के अलावा चीन 2030 तक चांद के साउथ पोल पर एक रिसर्च बेस बनाना चाहता है।
अब तक की रिसर्च में संभावना जताई गई है कि चांद के इस हिस्से पर बर्फ के तौर पर पानी मौजूद है।
चांद की सतह से सैंपल इकट्ठे करने के लिए ड्रिल और रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल किया गया था।
इसके जरिए चांद पर मौजूद 4 अरब साल पुराने क्रेटर से मिट्टी निकाली गई।
इसके बाद सैंपल को एक कैप्सूल में डालकर री-एंट्री व्हीकल में ट्रांसफर किया गया।
चैंग'ई-6 3 मई को साउथ पोल-एटकेन बेसिन पर लैंड हुआ था।
यह चांद के तीन सबसे बड़े और प्रमुख जमीनी हिस्सों में से एक है, इसलिए इसकी साइंटिफिक वैल्यू बहुत ज्यादा है।
चीन अपने इस मिशन के दौरान दूसरे देशों के पेलोड भी लेकर गया था, जिनमें पाकिस्तान, फ्रांस, इटली और यूरोपियन स्पेस एजेंसी शामिल थे।
चांद का फार साइड वह हिस्सा है जो धरती से दूर है और इसे ही चांद का अंधेरे वाला हिस्सा भी कहा जाता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ये हिस्सा हमें नजर नहीं आता है और इसके बारे में बहुत कम जानकारी है।
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