केरल में दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए सुविधा केंद्र स्थापित होगा
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने 24 जनवरी को कहा कि राज्य में दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए एक सुविधा केंद्र इस वर्ष तैयार हो जाएगा। जॉर्ज ने दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित रोगियों का उपचार करने वाले विशेषज्ञों के लिए यहां आयोजित एक कार्यशाला का उद्घाटन किया और कहा कि दुर्लभ रोगों की रोकथाम करना सरकार की प्राथमिकता है।
दुर्लभ रोगों के लिए नया क्लीनिक और रजिस्ट्री
उन्होंने कहा कि इस वर्ष कोझिकोड में दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए एक क्लीनिक की स्थापना की जाएगी। मंत्री ने कहा कि सरकार प्रभावित बच्चों को बीमारी से मुक्त कर उन्हें स्वस्थ बनाने के प्रयास कर रही है। "राज्य में दुर्लभ बीमारियों के रोगियों के लिए एक केंद्र (रजिस्ट्री) इस वर्ष स्थापित हो जाएगा," उन्होंने कहा।
एसएमए रोग के उपचार में प्रगति
जॉर्ज के अनुसार, 'स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी' (एसएमए) बीमारी का उपचार करवा रहे बच्चों के जीवित बचने की दर 90 प्रतिशत से अधिक हो गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य जन्मजात विकलांगताओं की पहचान करना और बच्चों के लिए विशेष उपचार सुनिश्चित करना है।
दुर्लभ बीमारियों के लिए पहल
केरल सरकार ने फरवरी 2024 में दुर्लभ रोगों के लिए ‘केयर’ योजना शुरू की और एसएटी अस्पताल में 2024 में दुर्लभ रोगों के लिए ‘एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी’ की शुरुआत की। वर्तमान में 106 मरीज महंगे उपचार प्राप्त कर रहे हैं। शालभम परियोजना के माध्यम से बच्चों में जन्मजात विकलांगता की पहचान की जाती है और उनका उपचार किया जाता है।
बच्चों के लिए हृदय सर्जरी
‘हृदयम’ परियोजना के तहत, जो जन्मजात हृदय रोगों की पहचान और उपचार पर केंद्रित है, 7,916 बच्चों की हृदय सर्जरी की गई है। एसएटी अस्पताल को दुर्लभ बीमारियों के लिए उत्कृष्ट केंद्र के रूप में नामित किया गया है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में केरल की प्रगति
जॉर्ज ने कहा कि केरल का शिशु मृत्यु दर सबसे कम है और महिला शिक्षा में प्रगति, सार्वजनिक स्वास्थ्य विकास, स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिबद्धता और पुनर्जागरण आंदोलन ने स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति को संभव बनाया है।
यह कार्यशाला एक दिवसीय थी, जिसे केरल के जिला चिकित्सा अधिकारियों, जिला कार्यक्रम प्रबंधकों, बाल रोग विशेषज्ञों और चिकित्सा कॉलेज के चिकित्सकों के लिए आयोजित किया गया था।