शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट वाला पहला राज्य बनेगा मध्यप्रदेश
2 सितंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश तेजी से औद्योगिकीकरण और विकास की नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार का फोकस केवल आर्थिक वृद्धि पर ही नहीं, बल्कि रोज़गार सृजन, आधारभूत संरचना निर्माण और सामाजिक न्याय पर भी है।
इसी दिशा में सरकार ने मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये बजट को अगले 5 वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इससे हर क्षेत्र में निवेश और जनकल्याणकारी योजनाओं को गति मिलेगी। साथ ही बढ़ते बजट प्रावधान में विभागों के बजट पर अनुशासन लगाने की महत्वपूर्ण पहल भी की जा रही है।
इसी कड़ी में राज्य सरकार ने अब वित्तीय अनुशासन और दीर्घकालिक विकास की ठोस रणनीति तैयार करते हुए शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है।
उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि यह पहल “विकसित मध्यप्रदेश 2047” की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में ठोस आधार बनेगी और देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श साबित होगी।
उन्होंने कहा, “शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट से न केवल प्रदेश की योजनाओं का ठोस मूल्यांकन होगा, बल्कि प्रत्येक खर्च का सीधा संबंध समाज की आवश्यकताओं और राज्य की प्राथमिकताओं से जोड़ा जा सकेगा।”
क्या है शून्य आधारित बजटिंग (Zero-Based Budgeting)?
शून्य आधारित बजटिंग (ZBB) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हर बजट वर्ष की शुरुआत “शून्य” से होती है। प्रत्येक विभाग को यह सिद्ध करना होता है कि उसका प्रस्तावित खर्च क्यों आवश्यक है। पिछले वर्षों के खर्चों को स्वचालित रूप से स्वीकृति नहीं दी जाती।
इसका उद्देश्य वास्तविक आवश्यकता और प्राथमिकताओं के आधार पर संसाधनों का आवंटन सुनिश्चित करना है। इससे अनावश्यक खर्चों में कटौती और पारदर्शिता बढ़ाई जा सकती है।
क्या है त्रिवर्षीय रोलिंग बजट?
त्रिवर्षीय रोलिंग बजट एक गतिशील वित्तीय योजना है, जो हर साल अपडेट होती है और आने वाले तीन वर्षों के खर्चों और राजस्व का पूर्वानुमान देती है।
उदाहरण के लिए, यदि वर्तमान वर्ष 2025–26 है, तो बजट 2025–26, 2026–27 और 2027–28 के लिए तैयार किया जाएगा। अगले वर्ष इसमें 2028–29 को जोड़ते हुए सबसे पुराना वर्ष हटा दिया जाएगा।
इस प्रणाली का उद्देश्य नीति निर्माण में निरंतरता बनाए रखना और योजनाओं को दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लागू करना है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह पहल?
अब तक अधिकांश राज्यों में पारंपरिक बजटिंग पद्धति लागू होती रही है, जिसमें पिछले वर्षों के व्यय को आधार मान लिया जाता है। इसके विपरीत, शून्य आधारित बजटिंग में प्रत्येक योजना को शून्य से शुरू कर उसकी उपयोगिता सिद्ध करनी होती है।
इससे अप्रभावी योजनाएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी और संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश इस प्रणाली को अपनाकर गुड गवर्नेंस और वित्तीय अनुशासन को मजबूती प्रदान कर चुके हैं।