मध्यप्रदेश बनेगा भारत की डेयरी कैपिटल - 'गोपालन' को विभाग में किया शामिल
मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य को भारत की डेयरी कैपिटल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। 20 जून को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सीएम हाउस में आयोजित गोशाला सम्मेलन में घोषणा की कि अब पशुपालन और डेयरी विभाग का नाम बदलकर पशुपालन, डेयरी एवं गोपालन विभाग रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री की प्रमुख घोषणाएं:
- प्राकृतिक गोबर खाद से उगाए गए अनाज को सरकार सामान्य बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीदेगी।
- दुग्ध समितियों की संख्या 9,000 से बढ़ाकर 26,000 करने का लक्ष्य।
- प्रदेश को दूध उत्पादन में देश की राजधानी बनाने की योजना।
- गौशालाओं को प्रति गाय 40 रुपए के हिसाब से ₹90 करोड़ की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर।
- भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना का शुभारंभ और प्रतीकात्मक ऋण मंजूरी।
गोशालाओं और गोसेवियों को सम्मान
भोपाल, दमोह, अनूपपुर, रायसेन, छिंदवाड़ा, हरदा और विदिशा की 7 गोशालाओं के गोसेवकों को सम्मानित किया गया। 73 नई गोशालाओं को पंजीयन प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। बड़ी गोशालाओं के लिए सरकार 125 एकड़ भूमि देगी। वर्ष 2023-24 के लिए आचार्य विद्यासागर जीवदया गोसेवा सम्मान भी प्रदान किया गया।
बजट में बड़ा इजाफा
वर्ष 2022-23 में पशुपालन विभाग का बजट ₹300 करोड़ था, जिसे अब बढ़ाकर ₹2,600 करोड़ कर दिया गया है। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार दूध उत्पादन को लेकर कितनी गंभीर है।
दूध खरीद नीति में सुधार
पहले दूध की खरीद फैट के आधार पर होती थी, जिससे गाय का दूध बिकना मुश्किल होता था। अब सरकार ने इस व्यवस्था को बदलकर गाय का दूध खरीदने का फैसला किया है ताकि गोपालकों की आय बढ़ सके। दूध उत्पादन को पांच गुना बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) से अनुबंध भी किया गया है। वर्तमान में प्रदेश में 5.5 करोड़ लीटर दूध प्रतिदिन उत्पादित हो रहा है।