हर गली-मोहल्ले में खुल सकेंगे जनऔषधि केंद्र
सरकार ने जन औषधि केंद्रों के बीच की दूरी के नियम को खत्म कर दिया है जिससे महानगरों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में कई केंद्र खुल सकेंगे। इसका उद्देश्य आम लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं आसानी से उपलब्ध कराना है।
2014 में शुरू हुए इन केंद्रों पर ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती दवाएं मिलती हैं।
अब दवाओं के लिए न भटकना पड़ेगा, न भीड़ झेलनी पड़ेगी
अब आम लोगों को किफायती और गुणवत्तापरक जेनेरिक दवाओं के लिए न तो भटकना पड़ेगा और न ही भीड़ में धक्के खाकर दवाइयां लेनी पड़ेंगी। सरकार ने महानगरों और दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के लिए जनऔषधि केंद्रों के बीच न्यूनतम दूरी मानक को वापस ले लिया है। इससे एक ही जगह कई सरकारी जनऔषधि केंद्र खोलने का रास्ता साफ होगा।
महंगी ब्रांडेड दवाओं का सस्ता विकल्प
केंद्र सरकार ने महंगी ब्रांडेड दवाओं के जवाब में पूरे देश में जन औषधि केंद्र खोलकर आम लोगों को बड़ी राहत पहुंचाई थी। इन केंद्रों पर जेनेरिक दवाएं मिलती हैं जो गुणवत्ता और प्रभावशीलता के मामले में ब्रांडेड दवाओं के बराबर होती हैं।
दूरी के नियम को हटाने का निर्णय
इस योजना को लागू करने वाले फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) के आंतरिक दस्तावेजों के अनुसार दूरी के नियम को हटाने का फैसला लिया गया है।
दस लाख से कम आबादी वाले शहरों में नियम लागू रहेगा
शहरी क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या घनत्व को देखते हुए जन औषधि केंद्रों तक लोगों की पहुंच, समान वितरण और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम दूरी की आवश्यकता को हटा दिया गया है। हालांकि दस लाख से कम आबादी वाले शहरों में अब भी न्यूनतम एक किलोमीटर दूरी का नियम लागू रहेगा।
सरकारी सहयोग और प्रोत्साहन
जन औषधि केंद्रों को सरकार की ओर से योजना के तहत ₹20,000 तक मासिक प्रोत्साहन राशि और ₹2 लाख तक की एकमुश्त सहायता दी जाती है। सभी जेनेरिक दवाएं उन्हीं कंपनियों से खरीदी जाती हैं जो WHO-GMP (विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक) का पालन करती हैं ताकि दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।