अगस्त 2025 तक आएगी प्रदेश की स्पेस-टेक पॉलिसी
14 जून को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ‘एमपी-टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव 2025’ में एक समर्पित स्पेस-टेक नीति बनाने की घोषणा की। इस दिशा में अग्रसर होते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आईआईटी इंदौर में "एमपी स्पेस-टेक नीति परामर्श: संभावनाएँ और चुनौतियाँ" विषय पर मंथन किया गया।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री संजय दुबे ने बताया कि प्रदेश की स्पेस-टेक नीति अगस्त 2025 तक जारी कर दी जाएगी। इसके लिए रोडमैप तैयार किया जा चुका है।
नीति परामर्श में विशेषज्ञों की भागीदारी
इस संवाद में 30 से अधिक विशेषज्ञों, शोध संस्थानों, स्टार्टअप प्रतिनिधियों, रक्षा और तकनीकी क्षेत्र के अधिकारियों तथा शैक्षणिक संस्थानों ने हिस्सा लिया। श्री दुबे ने कहा कि यह नीति सिर्फ बुनियादी ढांचे या प्रोत्साहनों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि नवाचार को बढ़ावा देने, प्रतिभाओं को प्रदेश में बनाए रखने और मध्यप्रदेश को स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनाने की दिशा में कार्य करेगी।
स्पेस-टेक में बहुआयामी दृष्टिकोण
आईआईटी इंदौर के प्रो. अभिरूप दत्ता और निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने कहा कि स्पेस-टेक सिर्फ उपग्रहों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इंजीनियरिंग, मटेरियल साइंस, डाटा मैनेजमेंट और राष्ट्रीय क्षमताओं का एक समन्वित क्षेत्र है।
मंथन में उज्जैन में ऑप्टिक्स एवं ऑप्टिकल कम्युनिकेशन क्लस्टर की स्थापना, रीजनल डाटा सेंटर और सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन के विकास, पेलोड और कॉम्पोनेंट निर्माण के लिए मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन, डोमेन-विशिष्ट स्किलिंग, साइबर सुरक्षा और नवाचार जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि रिमोट सेंसिंग और कोर स्पेस-टेक के लिए नीति निर्माण में अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाया जाए।