ओमान ने खाड़ी देशों में पहली बार आयकर लगाने की घोषणा की
खाड़ी देशों की हवा बदल रही है। इस क्षेत्र के एक देश ने पहली बार अपने नागरिकों पर आयकर लगाने का एलान किया है। ओमान ने 2028 से पांच प्रतिशत आयकर लगाने का फैसला किया है। यह फैसला देश की आय के स्रोतों में विविधता लाने और तेल पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से लिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी यह अनुमान जताया है कि आने वाले वर्षों में खाड़ी देश अपने राजस्व में विविधता लाने के लिए अपने नागरिकों पर टैक्स लगाना शुरू करेंगे। दशकों तक इन देशों ने तेल पर निर्भरता रखते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया और वैश्विक निवेश आकर्षित किया। हालांकि अब बदलते वैश्विक ऊर्जा बाजार और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण ओमान ने यह बड़ा कदम उठाया है।
आयकर केवल एक प्रतिशत नागरिकों पर लागू होगा
शुरुआत में, ओमान केवल उन नागरिकों पर आयकर लगाएगा जिनकी वार्षिक आय 1,09,000 डॉलर या उससे अधिक होगी। इसका मतलब है कि सिर्फ ओमान की 1 प्रतिशत आबादी पर ही आयकर लगेगा। इस नीति के बारे में ओमान सरकार ने 22 जून को आधिकारिक एलान किया। वर्तमान में ओमान की अर्थव्यवस्था का 85 प्रतिशत राजस्व तेल और गैस की बिक्री से आता है।
ओमान का आर्थिक विविधीकरण का विजन
हालांकि ओमान अभी भी तेल पर निर्भर है, लेकिन देश तेल पर निर्भरता कम करने के लिए काम कर रहा है। ओमान सरकार कई वर्षों से नागरिकों पर आयकर लगाने के बारे में विचार कर रही थी और 2020 में कई बड़े आर्थिक सुधार किए थे, जिनमें सार्वजनिक कर्ज में कमी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना शामिल था। यह सब ओमान के विजन 2040 के तहत किया जा रहा है, जिसमें ओमान अपनी अर्थव्यवस्था को तकनीकी आधार पर विकसित करने का प्रयास कर रहा है।
आयकर की शुरुआत देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर और सतत बनाने के लिए एक बड़ा कदम है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि क्या अन्य खाड़ी देश भी ओमान के रास्ते पर चलेंगे, लेकिन IMF का मानना है कि आने वाले वर्षों में कई खाड़ी देशों को इसी तरह के कदम उठाने पड़ सकते हैं।