पन्ना के हीरों को मिला GI टैग – ब्रांड वैल्यू में वृद्धि
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के पन्ना के बेशकीमती हीरे देश और दुनिया में अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं। लोग यहां दूर-दूर से इन उथली हीरे की खदानों को खोदने आते हैं। अब पन्ना से निकलने वाले हीरों को एक विशिष्ट पहचान मिली है जिसे GI टैग (भौगोलिक संकेत) कहा जाता है। इससे इन हीरों का मूल्य और महत्व बढ़ जाएगा।
हीरा अधिकारी रवि पटेल ने बताया कि GI टैग मिलने से पन्ना के हीरों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ेगी। GI या भौगोलिक संकेत किसी उत्पाद को उसके उत्पत्ति स्थान से जोड़ता है और उसकी विशिष्टता को दर्शाता है। GI टैग के लिए आवेदन जून 2023 में लखनऊ स्थित ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी ने चेन्नई स्थित संस्था में किया था, जिसने पूरी जांच के बाद इसे मंजूरी दी।
पन्ना – डायमंड सिटी
रवि पटेल ने बताया कि जिला प्रशासन, हीरा खनन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार और पद्मश्री डॉ. रजनीकांत एवं ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी की तकनीकी सहायता से पन्ना के हीरों ने यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। सदियों से पन्ना की पहचान यहां के बेशकीमती हीरों के कारण रही है, इसलिए इसे "डायमंड सिटी" के नाम से भी जाना जाता है।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
GI टैग मिलने से पन्ना के हीरों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर विशिष्ट पहचान मिलेगी, जिससे स्थानीय हीरा उद्योग को लाभ होगा। पन्ना के हीरे अब कानूनी मान्यता प्राप्त करेंगे, उनकी ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, और उपभोक्ताओं को प्रमाणित एवं विश्वसनीय हीरे मिल सकेंगे। पन्ना के हीरे हल्के हरे रंग और कार्बन लाइन के लिए प्रसिद्ध हैं, जो इन्हें अन्य हीरों से अलग बनाती है और उनकी कटिंग एवं चमक में बेजोड़ बनाती हैं।