प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम 'सेवा तीर्थ' रखा गया


प्रधानमंत्री कार्यालय का नया परिसर 'सेवा तीर्थ' के नाम से होगा जाना

केंद्र सरकार ने 2 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के नए परिसर का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' रख दिया है। यह परिसर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत निर्मित किया गया है और जल्द ही यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया कार्यालय होगा। पहले इसे एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव नाम दिया गया था।

'सेवा तीर्थ' क्या है?

'सेवा तीर्थ' को एक ऐसा कार्यस्थल बनाने की योजना है जहां सेवा भावना सर्वोपरि होगी और राष्ट्रीय प्राथमिकताएं आकार लेंगी। सेवा, कर्तव्य और पारदर्शिता को शासन का आधार बनाने की दिशा में यह एक अहम कदम है। इसके साथ ही राज्यपालों के आवासों के नाम 'राज भवन' से बदलकर 'लोक भवन' करने की शुरुआत भी की गई है।

साउथ ब्लॉक से 'सेवा तीर्थ' में स्थानांतरण

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) अब साउथ ब्लॉक के पुराने दफ्तर से 'सेवा तीर्थ' परिसर में शिफ्ट होगा। 'सेवा तीर्थ-1' में पीएमओ का मुख्य कार्यालय होगा, 'सेवा तीर्थ-2' में कैबिनेट सचिवालय और 'सेवा तीर्थ-3' में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का दफ्तर होगा।

मोदी सरकार का 'सेवा' का दृष्टिकोण

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले 11 वर्षों से मोदी सरकार सत्ता नहीं, बल्कि सेवा की पर्याय रही है। प्रधानमंत्री ने खुद को प्रधानसेवक मानकर जनता के लिए निरंतर काम किया है। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए पीएमओ का नाम 'सेवा तीर्थ' रखा गया है।

राज भवन का नाम 'लोक भवन' में बदलाव

प्रधानमंत्री कार्यालय के नामकरण के साथ-साथ केंद्र सरकार ने देश भर के राज भवनों का नाम बदलकर 'लोक भवन' करने का फैसला किया है। इससे पहले, राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया था और प्रधानमंत्री आवास का नाम अब लोक कल्याण मार्ग रखा गया है।

राज्यों ने भी बदला राज भवनों का नाम

गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने राज भवनों का नाम बदलकर 'लोक भवन' रखा है। इनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात, और त्रिपुरा शामिल हैं। राजस्थान ने भी राज भवन का नाम बदलने का एलान किया है।

औपनिवेशिक प्रतीकों को मिटाने की दिशा में कदम

मोदी सरकार औपनिवेशिक मानसिकता और प्रतीकों को समाप्त करने की दिशा में काम कर रही है। राजपथ का नाम कर्तव्य पथ में बदला गया है, सरकारी वेबसाइटों पर अब हिंदी में कंटेंट दिखाया जाता है, और बीटिंग रिट्रीट समारोह में अब अंग्रेजी गाने नहीं बजाए जाते हैं।




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