पूर्णिमा देवी बर्मन बनीं 'टाइम वुमन ऑफ द ईयर 2025'
पूर्णिमा देवी बर्मन, भारतीय जीवविज्ञानी और वन्यजीव संरक्षणकर्ता, को 21 फरवरी 2025 को 'टाइम वुमन ऑफ द ईयर 2025' से सम्मानित किया गया। वह इस सूची में शामिल होने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं। इस सूची में 13 महिलाओं को सम्मानित किया गया है, जिन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है।
इस सूची में हॉलीवुड अभिनेत्री निकोल किडमैन और फ्रांस की गिसेल पेलिकोट भी शामिल हैं, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई है।
पूर्णिमा का पर्यावरण संरक्षण के प्रति जुनून
2007 में एक घटना ने पूर्णिमा देवी बर्मन का जीवन बदल दिया। जब उन्हें खबर मिली कि असम में एक पेड़ काटा जा रहा है, जिस पर हर्गिला पक्षी (ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क) के घोंसले थे। जब उन्होंने पेड़ काटने का कारण पूछा, तो वहां मौजूद लोग उनका मजाक उड़ाने लगे। लेकिन उनके मन में सिर्फ उन पक्षियों का ख्याल आया, जिनके छोटे-छोटे बच्चे घोंसले में थे। उन्होंने महसूस किया कि प्रकृति की रक्षा करना उनका कर्तव्य है और यहीं से उनके मिशन की शुरुआत हुई।
हर्गिला पक्षी की संख्या में वृद्धि
उस समय असम में केवल 450 'हर्गिला पक्षी' बचे थे, लेकिन आज इनकी संख्या बढ़कर 1,800 से ज्यादा हो गई है। उनके प्रयासों के कारण 2023 में इस पक्षी की स्थिति को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) द्वारा 'लुप्तप्राय' से बदलकर 'निकट संकटग्रस्त' किया गया।
'हर्गिला आर्मी' का अभियान
पूर्णिमा देवी बर्मन ने इन पक्षियों को बचाने के लिए महिलाओं की एक टीम बनाई, जिसे 'हर्गिला आर्मी' नाम दिया। इस समूह में 20,000 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं, जो न केवल पक्षियों की रक्षा करती हैं, बल्कि लोगों को इनके महत्व के बारे में जागरूक भी करती हैं। अब यह अभियान असम से भारत के अन्य हिस्सों और कंबोडिया तक फैल चुका है। यहां तक कि फ्रांस के स्कूलों में भी उनके काम को पढ़ाया जा रहा है।
हर्गिला पक्षी को संस्कृति से जोड़ना
पूर्णिमा देवी बर्मन ने हर्गिला पक्षी को लोगों की संस्कृति से जोड़ने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें महिलाएं हर्गिला पक्षी की डिजाइन वाली साड़ियां और शॉल बुनकर आजीविका कमा रही हैं। इसके अलावा, गाने, उत्सव और यहां तक कि नवजात हर्गिला चूजों के लिए बेबी शॉवर भी आयोजित किए जाते हैं। पूर्णिमा का कहना है कि, "अब यह पक्षी हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा बन चुका है।"
महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण
टाइम मैगजीन ने कहा कि 'वुमन ऑफ द ईयर' सूची में उन्हीं महिलाओं को जगह दी जाती है, जो महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी में बदलाव ला रही हैं। पूर्णिमा देवी बर्मन न केवल पर्यावरण संरक्षण कर रही हैं, बल्कि महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। उनका काम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।