रातापानी टाइगर रिजर्व का लोकार्पण
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को भोपाल के कोलार रोड स्थित झिरी गेट से प्रदेश के आठवें टाइगर रिजर्व “रातापानी” का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश के रातापानी टाइगर रिजर्व का नाम विश्व विख्यात पुरातत्वविद डॉ. विष्णु वाकणकर के नाम से जाना जाएगा। रातापानी टाइगर रिजर्व में स्थित विश्व धरोहर भीमबेटका को डॉ. वाकणकर के अथक परिश्रम के परिणामस्वरूप ही पहचान प्राप्त हुई है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की वन्यजीव संपदा को और अधिक संपन्न करने के लिए रातापानी टाइगर रिजर्व की अनुमति प्रदान करने पर प्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश के समस्त राज्यों की राजधानियों में भोपाल ही एकमात्र ऐसी राजधानी है, जिसके आँगन में टाइगर रिजर्व विद्यमान है। इस सम्मान के लिए भोपालवासी और प्रदेशवासी बधाई के पात्र हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने टाइगर रिजर्व संबंधी जागरूकता के लिए आरंभ “विरासत से विकास” की अनूठी बाइक रैली को कोलार रोड स्थित गोल जोड़ से झंडी दिखाकर रवाना किया।
रातापानी: बाघों का ऐतिहासिक बसेरा
रातापानी हमेशा से बाघों का घर रहा है। रातापानी अभयारण्य को रातापानी टाइगर रिज़र्व में अपग्रेड किया जा रहा है। इससे भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में भोपाल को टाइगर की राजधानी के रूप में एक नई पहचान मिलेगी। रातापानी अभयारण्य में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे यह क्षेत्र बाघों का एक महत्वपूर्ण बसेरा बन गया है।
वर्ष 1976 में रातापानी को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। यह न केवल बाघों बल्कि कई अन्य वन्य जीवों का भी घर है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां लोग प्रकृति की विविधता को करीब से देख सकेंगे।
रातापानी का क्षेत्रफल और संरचना
रायसेन एवं सीहोर जिले में स्थित रातापानी अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल लगभग 1272 वर्ग किलोमीटर है। अभी रिजर्व के कुल क्षेत्रफल में से 763 वर्ग किलोमीटर को कोर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह वह क्षेत्र है, जहां बाघ बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकेंगे।